Navratri 2020: इन दिनों कश्मीर (Kashmir) से लेकर कन्याकुमारी तक सर्वत्र नवरात्र (Navratri) और दुर्गापूजा (Durga Puja) की धूम मची है. कोविड 19 की दहशत के बावजूद माता के प्रति भक्तों में श्रद्धा में कमी नहीं आई है. सार्वजनिक तौर पर भले ही दुर्गा पंडालों अथवा गरबा केंद्रों पर शांति छाई हो, लेकिन घर-घर में कलश और अखंड ज्योति जगमगा रहे हैं, जहां मान्यतानुसार मां दुर्गा विराज चुकी हैं. लेकिन इस वर्ष अष्टमी और नवमी तिथि के टकराने से लोगों में दुविधा है कि अष्टमी कब मनाई जाये और नवमी कब, तथा किस दिन कन्या पूजा की जाये. इस संदर्भ में ज्योतिषाचार्य क्या कह रहे हैं आइये जानते हैं.
जानें कब रखें महानवमी का व्रत
हिंदी पंचांग की तिथियां अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों की तरह 24 घंटे की तरह नहीं होती हैं. ग्रहों-नक्षत्रों की विशेष परिस्थितियों के कारण ये तिथियां 24 घंटे से कम या ज्यादा की भी हो सकती है. अकसर दो तिथियां एक ही दिन पड़ जाती हैं. ऋषिकेश पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2020 में सप्तमी तिथि 23 अक्टूबर शुक्रवार को दिन 12.09 बजे तक रहेगी. इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो 24 अक्टूबर शनिवार को दिन में 11.27 बजे तक रहेगी. इसके बाद महानवमी तिथि शुरू हो रही है, जो 25 अक्टूबर रविवार को दिन में 11.14 बजे तक रहेगी. इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो रही है. दशमी तिथि अगले दिन यानी 26 अक्टूबर सोमवार को दिन में 11.33 बजे तक रहेगी.
अतः 25 अक्टूबर को ही विजयदशमी पर्व का उत्सव मनाया जाएगा. जिन लोगों ने चढ़ती-उतरती यानी पहला और अंतिम नवरात्र व्रत का विधान अपनाया है, उन्हें अंतिम व्रत 24 अक्टूबर को रखना होगा और व्रत का पारण 25 अक्टूबर को करना होगा, क्योंकि इसी दिन महागौरी की भी पूजा है. अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के बावजूद भक्तों को देवी मां की आराधना के लिए नौ दिन मिल रहे हैं. कन्या पूजन अष्टमी और नवमी दोनों में से किसी एक दिन की जाती है. इसलिए श्रद्धालु अपनी मान्यतानुसार कन्या पूजन उपरोक्त अष्टमी अथवा नवमी के दिन कर सकते हैंं.
दशहरा या विजयादशमी
शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि का प्रारंभ 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट से हो रहा है, जो 26 अक्टूबर को सुबह 09 बजे तक है. ऐसे में विजयादशमी या दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा. तिथियों के इस टकराव के संदर्भ में ज्योतिषियों का कहना है कि हिंदी तिथियों की यह दुविधा सप्तमी और अष्टमी की तिथि के टकारने के कारण शुरु हुई है. क्योंकि सप्तमी तिथि 23 अक्टूबर शुक्रवार को थी, जबकि अष्टमी तिथि भी 23 अक्टूकर की प्रातःकाल से शुरू हो जायेगी, जो 24 अक्टूबर तक रहेगी. अतः 25 अक्टूबर को ही विजयदशमी पर्व का उत्सव मनाया जाएगा. इसी दिन यानी 25 अक्टूबर को अपराह्न के बाद सुहागन महिलाएं मां दुर्गा के साथ सिंदूर खेला का रश्म निभायेंगी. इसके बाद अश्रुपूरित आंखों से मां दुर्गा की विदाई होगी.