इन दिनों देश भर में हर घर तिरंगा की लहर-सी दौड़ रही है. स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों, सोसायटियों आदि जगहों पर स्वतंत्रता दिवस सेलिब्रेशन की तैयारियां चल रही हैं. ऐसे में अगर आपको 15 अगस्त के दिन अपने पुराने स्कूल से होनहार छात्र के रूप में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है, तो आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण साबित होगा. यहां एक ज्वलंत एवं सामयिक विषय ‘नये एवं विकसित भारत’ विषय पर एक जोरदार भाषण का अंश दिया जा रहा है, आप अपने जोशीले आवाज से इसे इतना सजीव और ओजस्वी बना सकते हैं, कि स्पीच खत्म होने पर तालियों की आवाज से पूरा कॉलेज गूंज उठेगा.
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय सम्मानित शिक्षक गण, और प्यारे मित्रों,
स्वतंत्रता दिवस की 79वीं वर्षगांठ पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! आज मुझे बड़ा फख्र हो रहा है, कि जिस कॉलेज का मैं कभी छात्र था, आज उसी कॉलेज के प्रांगण से मुझे स्वतंत्रता दिवस पर एक ज्वलंत और सामयिक मुद्दे पर स्पीच देने का गौरव प्राप्त हो रहा है. यह भी पढ़ें : Independence Day 2025: ‘डिजिटल पावर’ साकार कर रहा है नये स्वतंत्र भारत का सपना? जानें भारत की निरंतर बढ़ती डिजिटल शक्ति के बारे में
मित्रों यह दिवस हमें सिर्फ आजादी की याद नहीं दिलाता, बल्कि हमें सोचने के लिए भी प्रेरित करता है कि हम अपने प्यारे भारत को नये और विकसित भारत के रूप में स्थापित करें
यह प्रश्न सिर्फ नेताओं, वैज्ञानिकों या नीति-निर्माताओं का नहीं है, हम सबका भी है, क्योंकि किसी भी राष्ट्र का संपूर्ण विकास तभी होता है, जब उसके आम नागरिक जागरूक, शिक्षित, और सक्रिय रहें. इस दिशा में सबसे पहले बात करेंगे शिक्षा की, क्योंकि सही मायने में भारत का सपना तभी साकार होगा, जब देश का हर बच्चा शिक्षित होगा. हमें खुद को शिक्षित करना है, साथ ही दूसरों को भी शिक्षा से जोड़ें.
अब बात करेंगे आत्मनिर्भरता की. सर्वप्रथम हमें विदेशी चीज़ों पर निर्भरता कम करनी होगी, ‘मेक इन इंडिया’ को अपनाना होगा. अगर हम स्थानीय उत्पादों को महत्व देंगे, तो इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, और हम ज्यादा आत्मनिर्भर निर्भर बन सकेंगे.
मित्रों आज तकनीक का जमाना है. Digital India और AI जैसी तकनीकों का सही इस्तेमाल कर हम भारत को टेक्नोलॉजी का हब बना सकते हैं, यद्यपि इस दिशा में भी हमारे युवाओं की अच्छी ग्रोथ बनी है. इसका जीता-जागता प्रमाण यही है कि आज विकसित देशों में भारत का छठवां स्थान है. आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा आईटी हब है.
किसी भी देश की सही पहचान वहां के स्वच्छ वातावरण, पर्यावरण आदि से की जा सकती है. हम इस दिशा में भी सक्रिय हैं. ‘स्वच्छ भारत’ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी है. आम व्यक्ति यदि अपने आस-पास सफाई रखे और प्रकृति को सुरक्षित रखे, तो कोई संदेह नहीं कि एक समय भारत भी स्वच्छ और सुंदर देशों में गिना जायेगा.
आज राजनीतिक गलियारे में जाति-धर्म का खुला खेल खेला जा रहा है, यह गलत है. जाति, धर्म, भाषा या प्रांत किसी भी आधार पर भेदभाव न करके ही हम अपने देश को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सांचे में ढाल सकते हैं. देश को इस दिशा में युवा पीढ़ी से विशेष उम्मीद है.
भाषण के अंत में बात करेंगे राष्ट्र प्रेम की. राष्ट्र से प्रेम का अर्थ है देश के लिए कुछ करना. हम संविधान की दुहाई देकर सुविधा तो लेना चाहते हैं, लेकिन संविधान में उल्लेखित नैतिक जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करते हैं. देश में रहने वाला हर नागरिक देश से प्रेम करता है, लेकिन प्रेम करना ही पर्याप्त नहीं है, जरूरी है कि हम अपना कार्य ईमानदारी से करें, कानून का पालन करें, समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें. यह असली राष्ट्र प्रेम है. आइये हम संकल्प लें कि हम मिलकर एक ऐसा भारत बनाएंगे, जो शिक्षित हो, सशक्त हो, स्वच्छ हो, और एकजुट हो.
अपने भाषण का समापन मैं पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम की इन पंक्तियों से करना चाहेंगे कि
सपने वे नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं, सपने वे हैं, जो हमें सोने ना दें.
जय हिंद, जय भारत












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