नई दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को करगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर उन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने युद्ध के दौरान कठिन लड़ाई लड़ी. राजनाथ ने कहा कि उनके अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान ने देश की सीमाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित की. केंद्रीय मंत्री सिंह ने रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक और सेना, नौसेना और वायुसेना के उप प्रमुखों-लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबु, वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार और एयरफोर्स एयरमार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया- के साथ ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
सिंह ने ट्वीट किया,‘‘करगिल विजय दिवस के मौके पर नयी दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. उनके अदम्य साहस एवं सर्वोच्च बलिदान ने हमारी सीमाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित की.’’ यह भी पढ़े-Kargil Vijay Divas: 1999 में करगिल युद्ध के दौरान जंग के मैदान में पहुंचे थे पीएम मोदी, शेयर की लड़ाई के दौरान की तस्वीरें
Paid homage to martyred soldiers at the National War Memorial in New Delhi on the occasion of 20th anniversary of Kargil Vijay Diwas. Their unwavering courage and supreme sacrifice ensured the safety and sanctity of our borders. pic.twitter.com/YLkDpz8iE3
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 26, 2019
वहीं यहां भाजपा मुख्यालय में करगिल विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार करगिल युद्ध के शहीद और सेवा में मौजूद सैनिकों के माता-पिता को पत्र लिखकर उनकी बहादुरी को सलाम करेगी. उन्होंने कहा कि इन पत्रों में सरकार बताएगी कि कैसे सीमा पर दुरुह परिस्थितियों में इन बहादुर जवानों ने देश की सेवा की और देश को अपनी बहादुरी और बलिदान से गौरवान्वित किया.
भारत के सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ के बाद 26 जुलाई 1999 को पड़ोसी देश के खिलाफ करगिल युद्ध में विजय की घोषणा की थी. भारतीय सेना ने घुसपैठ के बाद ‘आपरेशन विजय’ शुरू किया था. ‘आपरेशन विजय’ 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के सीमित युद्ध को दिया गया नाम है. इसके तहत करगिल की बर्फ से ढकी चोटियों पर युद्ध हुआ था.
लोकसभा में रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान न तो भारत के साथ पूर्ण स्तरीय युद्ध लड़ सकता है और न ही सीमित युद्ध. इसलिए उसने एक छद्म युद्ध छेड़ा हुआ है. वह संसद में करगिल युद्ध की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर बोल रहे थे. सदन ने उन वीर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने दुश्मन सैनिकों को भगाकर करगिल की चोटियों को फिर से अपने कब्जे में लिया था.