पोलैंड कैसे बना यूरोप में आर्थिक तरक्की की हैरान करने वाली मिसाल?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यूरोपीय संघ (ईयू) के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था मुश्किल में है, लेकिन पोलैंड की अर्थव्यवस्था बड़ी हैरान करने वाली तेजी से आगे बढ़ रही है. पोलैंड की इस कामयाबी से बाकी देश क्या सीख सकते हैं?कमोबेश समूचे यूरोपीय संघ में आर्थिक निराशा का माहौल है. अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही हैं. इसी दौर में ईयू का एक बड़ा देश पोलैंड आर्थिक मोर्चे पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.

साल 2024 में पोलैंड के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर लगभग तीन फीसदी रही. यह पूरे ईयू की औसत वृद्धि दर, यानी एक फीसदी से ऊपर है. यह वृद्धि ईयू की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जर्मनी और फ्रांस से भी अधिक है. फ्रांस में यह वृद्धि दर 1.2 फीसदी रही, वहीं जर्मनी में -0.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

इस साल भी पोलैंड के आर्थिक संकेत सकारात्मक ही हैं. साल की दूसरे तिमाही में पोलैंड ने 0.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है. ईयू सदस्य देशों में यह आंकड़ा पांचवें नंबर पर है. साल 2025 में लगभग 3.3 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है और अगले साल भी तीन फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है.

रातोरात नहीं हुआ अर्थव्यवस्था का कायापलट

ऐसा नहीं कि पोलैंड ने पलक झपकते ही आर्थिक कामयाबी हासिल कर ली हो. साल 2004 में ईयू का हिस्सा बनने के बाद से ही पोलैंड की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि लगभग चार फीसदी रही है. पिछले दशक में आर्थिक विकास का कांटा ऊपर चढ़ता रहा है.

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पोलिश अर्थव्यवस्था में खास रफ्तार रही है. स्टॉक मार्केट भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. यह उम्मीद भी बढ़ रही है कि पोलैंड जल्द ही ईयू की सबसे मजबूत और गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो सकता है.

कातार्जिना रजेंटार्जेव्स्का, केंद्रीय और पूर्वी यूरोप में एर्स्टा ग्रुप की प्रमुख मैक्रो एनालिस्ट हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "पिछले 20 सालों में पोलैंड ने निश्चित रूप से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है." रजेंटार्जेव्स्का ने रेखांकित किया कि पोलैंड की वास्तविक जीडीपी दोगुनी हो गई है, जो कि एक शानदार उपलब्धि है.

"पोलैंड काफी बड़ा देश है"

जेकब फंक किर्कगार्ड, पीटरसन इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकनॉमिक्स में वरिष्ठ शोधकर्ता हैं. वह बताते हैं कि पोलैंड जैसी सफलता काफी हद तक अन्य पूर्वी ईयू और बाल्टिक देशों ने भी दिखाई है. लेकिन अपने बड़े आकार के कारण पोलैंड की कामयाबी थोड़ी अलग है.

पोलैंड की जनसंख्या लगभग पौने चार करोड़ है. जनसंख्या के लिहाज से वह ईयू में पांचवें स्थान पर है. जीडीपी के हिसाब से अर्थव्यवस्था को मापें, तो पोलैंड दुनिया की टॉप 20 अर्थव्यवस्थाओं में आ गया है.

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पोलैंड की बढ़ती आर्थिक ताकत के साथ उसका रणनीतिक और भू-राजनीतिक महत्व भी जुड़ा है. हालिया वर्षों में पोलैंड ने अपना रक्षा खर्च बढ़ाया है. अब यह नाटो सदस्य देशों में अपनी जीडीपी के अनुपात में सबसे ज्यादा रक्षा खर्च करने वाला देश बन गया है, लगभग 4.5 फीसदी.

रक्षा क्षेत्र में पोलैंड ज्यादातर विदेशी आयात पर खर्च कर रहा है, न कि घरेलू उत्पादन पर. लेकिन रजेंटार्जेव्स्का बताती हैं कि देश के विकास का एक बड़ा हिस्सा निजी घरेलू खपत से आता है, ना कि निर्यात से.

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उन्होंने कहा, "यह विकास का आधार है." साथ ही, रजेंटार्जेव्स्का ने यह भी ध्यान दिलाया कि पोलैंड के मजबूत घरेलू बाजार का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वहां बेरोजगारी काफी कम और मजदूरी ज्यादा है. इस वजह से पोलैंड को वैश्विक आर्थिक झटकों से अपेक्षाकृत सुरक्षा मिल जाती है.

रजेंटार्जेव्स्का बताती हैं, "जब दुनिया में मंदी आती है तो छोटे, निर्यात-आधारित देश सबसे पहले प्रभावित होते हैं क्योंकि वैल्यू चेन ऐसे ही काम करता है. वहीं, पोलैंड की अपेक्षाकृत बंद अर्थव्यवस्था में घरेलू खपत मजबूत बनी रहती है."

ईयू एकीकरण की एक मिसाल

पोलैंड ने ऐसा क्या किया, जिससे उसे इतना फायदा हो रहा है? रजेंटार्जेव्स्का बताती हैं कि यूरोपीय संघ, नाटो, शेंगेन क्षेत्र और ओईसीडी में पोलैंड का कामयाबी से घुल-मिल जाना उसकी सफलता की बड़ी वजह है.

उन्होंने कहा, "अगर हम एकीकरण की अवधारणा को व्यापक रूप से देखें, तो पोलैंड बहुत अच्छे तरीके से घुल-मिल गया." वह यूरो जोन में शामिल नहीं हुआ, लेकिन 2004 में ईयू में शामिल होने के कारण उसे विस्तृत ईयू फंडिंग का फायदा मिला.

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रजेंटार्जेव्स्का बताती हैं, "हम यह नकार नहीं सकते हैं कि यूरोपीय फंड्स तक पहुंचना एक बहुत बड़ी बात थी. इसने वृद्धि में एक प्रमुख योगदान दिया." किर्कगार्ड इसे यूं बताते हैं, "पोलैंड ने बुनियादी चीजें अच्छे से साध लीं."

उन्होंने कहा, "उसने ईयू फंडिंग का इस्तेमाल करके अपने बुनियादी ढांचे (सड़कें, रेल, हवाई अड्डे वगैरह) में काफी सुधार किया." किर्कगार्ड ने यह भी जोड़ा, "उसने स्ट्रीट-लेवल करप्शन को पूरी तरह खत्म कर दिया. कम्युनिस्ट शासन के दौर में यह जमकर होता था. उसने कारोबार के लिहाज से बहुत अच्छा माहौल देने में भी कामयाबी हासिल की. उसके पास आमतौर पर एक पढ़ी-लिखी कामकाजी आबादी है."

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स्ट्रीट-लेवल करप्शन से आशय भ्रष्टाचार के उस रूस से है, जहां जनता के सीधे संपर्क में आने वाले सरकारी कर्मचारी निजी हितों के लिए अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करें. मसलन, काम करने के एवज में रिश्वत लेना या परेशान करना.

किर्कगार्ड के अनुसार, "पोलैंड सफल ईयू एकीकरण की मिसाल है. पोलैंड के लिए इसे सही तरीके से करना जरूरी था क्योंकि वह आकार में इतना बड़ा है. उसने सफलतापूर्वक इसे किया भी."

पोलैंड का राजनीतिक विभाजन ईयू फंड्स के लिए चुनौती

पोलैंड की आर्थिक सफलता के बावजूद उसका राजनीतिक विभाजन संभावित चुनौती पेश कर रहा है. पिछले लगभग 20 सालों से, पोलैंड मुख्य रूप से दो राजनीतिक धड़ों में बंटा हुआ है. पहला, राइट-विंग ब्लॉक जो राष्ट्रीय-संरक्षणवादी कानून और न्याय (पीआईएस) पार्टी के नेतृत्व में है. दूसरा, लिबरल ब्लॉक जो मौजूदा प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क की सिविक कोएलिशन के नेतृत्व में है.

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टुस्क का गठबंधन ईयू समर्थक है. 2023 के संसदीय चुनाव में उनकी जीत ने पोलैंड को ईयू फंड तक पहुंचाने में मदद दी थी. इससे पहले पीआईएस शासन के दौरान न्यायिक स्वतंत्रता को लेकर अक्सर ईयू के साथ असहमति बनी रहती थी.

2025 के राष्ट्रपति चुनाव में पीआईएस समर्थित यूरो-संशयवादी कारोल नावरोत्स्की की जीत पोलैंड और ईयू संबंधों के लिए नुकसानदायक मानी जा रही है.

साल 2023 में सत्ता में आने के कुछ हफ्तों बाद ही टुस्क ने यूरोपीय आयोग को 137 बिलियन यूरो का फंड जारी करने के लिए राजी कर लिया था. शर्त बस इतनी थी कि पोलैंड की न्याय प्रणाली ईयू मानकों के अनुरूप सुधारी जाएगी. पीआईएस के शासनकाल में नियुक्त किए जजों को हटाने का टुस्क का विचार अब नावरोत्स्की के साथ टकराव का कारण बन रहा है.

रजेंटार्जेव्स्का बताती हैं कि इन सबके बावजूद पोलैंड ने दोनों ही राजनीतिक धड़ों के शासन काल में आर्थिक प्रगति की है. उन्होंने बताया, "पोलैंड एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे विभिन्न राजनीतिक दलों या रुझानों के बावजूद, चाहे वह संरक्षणवादी हों या लिबरल, आर्थिक प्रगति और गतिशील विकास किया जा सकता है.”

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रजेंटार्जेव्स्का बताती हैं कि जलकल्याण खर्च, जैसे कि पीआईएस पार्टी द्वारा शुरू किया गया बच्चों के लिए दिया जाने वाला फंड लाभकारी रहा है. इसने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा भी दिया है. हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि ज्यादा खर्च, रक्षा खर्च में वृद्धि और महंगाई ने पोलैंड में आर्थिक स्थितियां मुश्किल बना दी हैं.

वित्त मंत्री आंद्रेज डोमान्स्की द्वारा पेश की गई हालिया योजनाओं के मुताबिक, अगले साल पोलैंड का सरकारी घाटा जीडीपी का 6.5 फीसदी रहेगा.

आईएनजी में पोलैंड के मुख्य अर्थशास्त्री, राफाल बेनेकी ने कहा देश की मजबूत वृद्धि दर के कारण रेटिंग एजेंसियां और निवेशक आम तौर पर चिंतित नहीं हैं. हालांकि, बेनेकी यह मानते हैं कि पोलैंड को निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए ठोस वित्तीय सुधार योजनाओं की जरूरत है.

इस मसले पर रजेंटार्जेव्स्का कहती हैं, "कम बेरोजगारी, उपभोक्ता विश्वास और सबसे अहम उच्च उत्पादकता, यह सभी मिलकर अर्थव्यवस्था के सकारात्मक भाव और प्रदर्शन को दर्शाते हैं."

किर्कगार्ड ने कहा कि पोलैंड, ईयू के बाकी देशों को आर्थिक गतिशीलता और लचीलापन सिखा सकता है. उन्होंने कहा, "एक समय था, जब संयुक्त राज्य अमेरिका का मिशिगन और 'रस्ट बेल्ट' आर्थिक रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा दबदबा रखने वाले हिस्से थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है."

उन्होंने आगे कहा, "लेकिन अगर आप मान लें कि जर्मनी खुद में सुधार नहीं कर पाता है और पोलैंड वैसा ही प्रदर्शन जारी रखता है, जैसा उसने 20 साल पहले ईयू सदस्य बनने के बाद से जारी रखा है, तो वह आखिरकार जर्मनी जैसे देशों को पीछे छोड़ सकता है और यूरोप का 'रस्ट बेल्ट' बन सकता है."