Digital Media Rules: फर्जी खबरों और डीपफेक पर सख्त हुई सरकार, सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर होगी कड़ी कार्रवाई
Fact Check

Deepfake Prevention: सरकार ने टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाली भ्रामक या आधी-अधूरी जानकारी को रोकने के लिए नियमों को और मजबूत किया है. केबल टीवी नेटवर्क कानून के तहत चैनलों को कार्यक्रम प्रसारण के लिए तय आचार संहिता का पालन करना जरूरी है. गलत या आपत्तिजनक सामग्री दिखाए जाने पर चैनल को चेतावनी, माफी स्क्रॉल या अस्थायी तौर पर ऑफ एयर करने जैसी कार्रवाई की जा सकती है.

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प्रिंट मीडिया के लिए कड़े मानदंड

अखबारों और मैगज़ीन में छपने वाली खबरों पर भी अब ज्यादा सख्ती बरती जाएगी. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया पत्रकारिता के मानकों का उल्लंघन करने वाले मामलों की जांच कर सकता है. किसी भी अखबार या पत्रकार को गलत खबर या भ्रामक जानकारी देने पर चेतावनी, फटकार या निंदा जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी

सोशल मीडिया और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स के लिए IT नियम 2021 के तहत आचार संहिता लागू की गई है. इसके तहत प्लेटफॉर्म्स को ऐसी पोस्ट और कंटेंट रोकने की जिम्मेदारी दी गई है जो पूरी तरह गलत या गुमराह करने वाले हों. हर प्लेटफॉर्म को शिकायत अधिकारी नियुक्त करना अनिवार्य है, जो सीमित समय में गलत सामग्री से जुड़ी शिकायतों का निपटारा करेगा. साथ ही सरकार जरूरत पड़ने पर IT एक्ट की धारा 69A के तहत देश की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक कंटेंट हटाने का आदेश दे सकती है.

PIB का फैक्ट चेक यूनिट सक्रिय

केंद्र सरकार से जुड़ी सूचनाओं की सच्चाई जानने के लिए PIB की फैक्ट चेक यूनिट दिन रात काम कर रही है. यह यूनिट विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से जानकारी की पुष्टि करने के बाद सोशल मीडिया पर सही तथ्य साझा करती है. इसका उद्देश्य जनता तक सही और भरोसेमंद जानकारी पहुंचाना है.

रचनात्मक स्वतंत्रता के साथ गलत सूचना पर लगाम

सरकार का कहना है कि उसकी कोशिश स्वतंत्र विचार और रचनात्मक अभिव्यक्ति को बनाए रखते हुए फेक न्यूज व डीपफेक जैसी खतरनाक प्रवृत्तियों पर रोक लगाना है. सरकार का मानना है कि भरोसेमंद सूचना प्रणाली मजबूत लोकतंत्र की नींव होती है.