नई दिल्ली: फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव (Flight Lieutenant Siddharth Yadav) की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया है. हरियाणा के रेवाड़ी जिले के भालखी माजरा गांव में जब उनका पार्थिव शरीर पहुंचा, तो हर आंख नम थी. उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए, लेकिन सबसे भावुक पल तब आया जब उनकी मां सुशीला यादव ने कहा "मुझे अपने बेटे पर गर्व है." रुंधे गले से उन्होंने यह भी कहा कि वह हर मां से अपील करती हैं कि वे अपने बेटों को देश की सेवा में भेजें.
सिद्धार्थ यादव की मंगेतर सानिया के लिए यह क्षण सबसे दर्दनाक था. मात्र दस दिन पहले ही उनकी सगाई हुई थी और नवंबर में शादी होने वाली थी. जब उन्होंने अपने मंगेतर का पार्थिव शरीर देखा, तो रोते हुए बोलीं, "बेबी, तू आया नहीं, तूने कहा था कि तू मुझे लेने आएगा..." यह शब्द सुनकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों में आंसू आ गए.
मंगेतर का रोता हुआ सवाल "बेबी, तू आया क्यों नहीं?
What a heart wrenching moment...#SiddharthYadav got engaged 10 days back, marriage was due on 2nd November...his fiance says: Baby तू आया नहीं...तूने कहा था मुझे लेने आएगा। #jaguarcrash #Rewari pic.twitter.com/c7KGJOQixr
— Rahul Yadav (@Raahulrewari) April 4, 2025
सानिया बार-बार अपने मंगेतर का चेहरा देखने की गुहार लगाती रहीं और कहती रहीं, "प्लीज, एक बार मुझे उनकी शक्ल दिखा दो." उनके लिए यह केवल एक व्यक्ति को खोने का दर्द नहीं था, बल्कि उनके पूरे भविष्य का सपना टूटने जैसा था.
पिता की आंखों में बेटे को चीफ ऑफ एयर स्टाफ बनाने का सपना
सिद्धार्थ के पिता सुशील यादव का सपना था कि उनका बेटा एक दिन भारतीय वायुसेना का चीफ ऑफ एयर स्टाफ बने. उन्होंने गर्व से कहा "मेरी चार पीढ़ियां सेना में रही हैं और सिद्धार्थ ने भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाया."
जब उन्होंने आखिरी बार सिद्धार्थ से बात की थी, तब शादी की तैयारियों पर चर्चा हो रही थी. उन्होंने बताया कि शादी के लिए हॉल बुक हो चुका था और घर में खुशियों की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.
शहीद सिद्धार्थ का साहस और बलिदान
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव 2 अप्रैल को गुजरात के जामनगर में हुए जगुआर फाइटर जेट क्रैश में शहीद हो गए. यह हादसा तब हुआ जब वे नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर थे. बताया जा रहा है कि वे समय रहते इजेक्ट कर सकते थे, लेकिन अगर वे ऐसा करते, तो विमान रिहायशी इलाके पर गिर सकता था, जिससे कई लोगों की जान जा सकती थी. लेकिन उन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना आम नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी.
वायुसेना का सम्मान और अंतिम विदाई
शहीद सिद्धार्थ को राष्ट्रीय सम्मान के साथ विदाई दी गई. भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने उल्टे हथियार से फायर कर श्रद्धांजलि दी. उनके पार्थिव शरीर को उनके पिता ने मुखाग्नि दी, जबकि पूरा गांव "भारत माता की जय" और "सिद्धार्थ अमर रहें" के नारों से गूंज उठा.
सिद्धार्थ यादव न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश का गर्व हैं. उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. उनकी शहादत से पूरे देश की आंखें नम हैं, लेकिन उनकी वीरता और देशप्रेम की कहानी हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी.













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