कैंसर मरीज को कंपनी ने नौकरी से निकाला, विरोध में ऑफिस के बाहर भूख हड़ताल पर बैठा शख्स
Pune Man Fired After Cancer Detection | X

पुणे के एक मल्टीनेशनल ऑफिस से निकाले गए कर्मचारी का मामला सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा में है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे संतोष पटोले को कंपनी ने अचानक टर्मिनेट कर दिया, जिसके विरोध में वे अब कंपनी के बाहर ही शांतिपूर्ण भूख हड़ताल पर बैठे हैं. यह मामला न सिर्फ कॉर्पोरेट संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकारों पर भी बड़ी बहस छेड़ रहा है.

संतोष पटोले पिछले आठ वर्षों से पुणे के येरवड़ा स्थित मल्टीनेशनल कंपनी में फैसिलिटी मैनेजर के रूप में काम कर रहे थे. अप्रैल में कंपनी के एनुअल हेल्थ चेकअप के दौरान उन्हें थायरॉयड नोड्यूल इस्थमस कैंसर का पता चला. उन्होंने मई-जून में सर्जरी और इलाज के लिए मेडिकल लीव ली, और कंपनी ने इस दौरान उनके मेडिकल खर्च भी उठाए.

लेकिन जैसे ही जुलाई में डॉक्टरों ने उन्हें काम पर लौटने की मंजूरी दी, कंपनी ने अचानक 23 जुलाई को एक टर्मिनेशन लेटर भेज दिया. इस फैसले ने उनका आर्थिक सहारा ही नहीं छीना, बल्कि उनकी महंगी मेडिकल जरूरतों के लिए मिलने वाला सपोर्ट भी खत्म कर दिया.

कंपनी ने क्या कहा?

कंपनी का कहना है कि संतोष ने ऐसा निर्णय लिया था जिससे लगभग 2.5 से 3 करोड़ का नुकसान हो सकता था. लेकिन संतोष का दावा है कि यह आरोप पूरी तरह झूठा और मनगढ़ंत है, क्योंकि जिस प्रोजेक्ट की बात की जा रही है, उसे लागू ही नहीं किया गया था. उनका कहना है कि कंपनी ने उनकी बात सुने बिना ही इस बीमारी के दौर में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

कंपनी ऑफिस के बाहर भूख हड़ताल

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में संतोष कंपनी के ऑफिस के बाहर टेंट लगाकर भूख हड़ताल करते दिखाई दे रहे हैं. उनकी इस शांतिपूर्ण लड़ाई के समर्थन में लोग लगातार आवाज उठा रहे हैं.

सोशल मीडिया पर गुस्सा

इस घटना से लोग बुरी तरह नाराज हैं. कमेंट्स में कई लोगों ने कॉर्पोरेट सिस्टम की असंवेदनशीलता पर सवाल उठाए कि हर कर्मचारी बस एक नंबर है, इंसान नहीं. एक यूजर ने लिखा, “मेरे एक दोस्त के साथ भी ऐसा हुआ था. कैंसर के समय कंपनी ने वेतन तक बंद कर दिया था.” कुछ लोगों ने कहा कि यह घटना “निर्दयता की हद” है और उम्मीद जताई कि पब्लिक आउटरेज से संतोष को न्याय मिलेगा.

फिलहाल, संतोष अपनी भूख हड़ताल जारी रखे हुए हैं, और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें जल्द न्याय मिले और इस घटना से कॉर्पोरेट जगत भी सीख ले.