भारत में बढ़ते साइबर खतरों और डेटा लीक घटनाओं को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है. मंत्रालय ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सेवाओं और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को निर्देश दिया है कि वे तुरंत उन वेबसाइट्स को ब्लॉक करें जो भारतीय नागरिकों का निजी डेटा उजागर कर रही हैं. इस निर्देश को एक वरिष्ठ अधिकारी ने LinkedIn पर साझा किया, जिसमें proxyearth.org और leakdata.org जैसी साइटों के नाम शामिल हैं.
सरकारी जांच में पता चला कि इन वेबसाइट्स पर कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक मोबाइल नंबर डालकर किसी भी भारतीय का पूरा निजी विवरण देख सकता था. नाम, पता, ईमेल, दूसरा मोबाइल नंबर और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी. यह सीधे-सीधे गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन है और साइबर अपराधियों के लिए सोने की खान साबित हो सकता है.
VPN के जरिए अब भी खुल सकती थीं ऐसी साइटें
कई साइट्स भारत में ब्लॉक होने के बावजूद VPN के माध्यम से आसानी से खोली जा रही थीं. इसी वजह से सरकार ने VPN प्रदाताओं को भी सख्त निर्देश जारी किए हैं कि वे इन वेबसाइट्स तक पहुंच पूरी तरह बंद करें. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसी साइटें देश के नागरिकों की सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए बड़े खतरे पैदा कर रही हैं.
पुराने नियम भी याद दिलाए गए
सरकार ने 2022 में लागू दिशा-निर्देशों का भी उल्लेख किया, जिनके तहत VPN, क्लाउड और VPS सेवाओं को अपने ग्राहकों का सत्यापित डेटा पांच साल तक सुरक्षित रखना अनिवार्य है. इसी कारण कई बड़ी VPN कंपनियां जैसे Proton VPN, ExpressVPN, NordVPN, Surfshark ने भारत से अपने सर्वर हटाए थे.
नियमों का उल्लंघन हुआ तो सेफ हार्बर खत्म
मंत्रालय ने दोबारा चेतावनी दी कि IT Act 2000 और IT Rules 2021 के तहत इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म्स की ये जिम्मेदारी है कि वे अवैध या गोपनीयता तोड़ने वाली सामग्री को तुरंत ब्लॉक करें. अगर आदेश का पालन नहीं हुआ, तो प्लेटफॉर्म्स अपनी ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा खो देंगे, और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
हाल के बड़े डेटा लीक ने बढ़ाई चिंता
पिछले वर्षों में कई बड़े डेटा लीक देश को हिला चुके हैं
- Zoomcar के 8.4 मिलियन यूज़र्स का डेटा लीक
- ADDA ऐप के 1.8 मिलियन यूज़र्स की जानकारी उजागर
- इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च पर साइबर हमला
- 2021 में Air India का 4.5 मिलियन यात्रियों का डेटा लीक
- Domino’s India का ग्राहक डेटा उजागर
इन घटनाओं ने साबित किया कि डेटा सुरक्षा अब सिर्फ एक टेक्निकल मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक अधिकारों से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है.
नागरिकों को सतर्क रहना होगा अनजानी वेबसाइट्स पर मोबाइल नंबर या व्यक्तिगत जानकारी दर्ज करने से बचें और साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दें.













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