कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की फिल्म 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' (Manikarnika-The Queen Of Jhansi) दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है. यह फिल्म 25 जनवरी को बड़े पर्दे पर रिलीज होने जा रही है. कंगना ने गणतंत्र दिवस (Republic Day) के अवसर पर फैन्स को एक शानदार तोहफा दिया है लेकिन उनकी इस फिल्म में कुछ खामियां भी है. जहां कुछ दृश्य ऐसे हैं जिन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, वहीं बहुत से सीन्स ऐसे भी हैं जिनकी जरुरत ही नहीं थी. कंगना रनौत इस फिल्म की जान है और उनका अभिनय दर्शकों को खूब पसंद आएगा. फिल्म का पहला हाफ थोड़ा धीमा है लेकिन दूसरे हाफ में कहानी रफ्तार पकड़ लेती है.
कहानी: फिल्म में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai) की जिंदगी को बखूबी दर्शाया गया है. कंगना रनौत ने मणिकर्णिका की भूमिका निभाई है. शुरुआत में बताया जाता है कि मणिकर्णिका तीरंदाजी और तलवारबाजी में माहिर है. शुरू के सीन्स बेहद प्रभावित करते हैं लेकिन इसके बाद फिल्म काफी स्लो हो जाती है. मणिकर्णिका का विवाह झांसी के राजकुमार के साथ हो जाता है. शादी के बाद उनका नाम बदलकर रानी लक्ष्मीबाई रख दिया जाता है. इसके आगे कहानी में कई रोचक मोड़ आते हैं. दूसरे हाफ में दर्शाया गया है कि किस तरह रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजो का डटकर सामना करती हैं और साथ हीं झांसी की और माहिलाओं को भी युद्ध का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. फिल्म के कुछ सीन्स दर्शकों के अंदर देशभक्ति की भावना जगाने में सफल होंगे. हालांकि, कई जगहों पर फिल्म थोड़ी बोरिंग भी हो जाती है. अंत में कुछ स्लो मोशन सीन्स भी हैं, जो थोड़े अटपटे लगते हैं.
निर्देशन: कृष (Krish) के इस फिल्म को छोड़ने के बाद कंगना ने ही बचे हुए भाग का निर्देशन किया था. फिल्म में वार सीक्वेंस को लाजवाब तरीके से दर्शाया गया है. सिंगल स्क्रीन्स में इन दृश्यों को देखने के बाद तालियां जरुर बजेंगी. हालांकि, पहले हाफ में फिल्म थोड़ी खींची हुई भी लगती है और उन सीन्स का डायरेक्शन भी फीका लगता है. फिल्म को ठीक तरीके से एडिट भी नहीं किया गया है.
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अभिनय: कंगना रनौत देशभक्ति से भरी इस फिल्म की जान है. उनकी दमदार एक्टिंग दर्शकों को खूब प्रभावित करेगी. इस फिल्म से टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे (Ankita Lokhande) ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया है. झलकारी बाई के रूप में उन्होंने कंगना का साथ बखूबी निभाया है. डैनी डेन्जोंगपा (Danny Denzongpa) ने गुलाम गौज खान के किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. मोहम्मद जीशान अयूब (Mohammed Zeeshan Ayyub) के टैलेंट का और अच्छे ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता था.
म्यूजिक: शंकर एहसान लॉय (Shankar Ehsaan Loy) कभी भी निराश होने का मौका नहीं देते हैं. उनका म्यूजिक हर बार की तरह शानदार है. खासतौर पर 'विजयी भवः' नामक गीत ऑडियंस को काफी अच्छा लगेगा. 'मणिकर्णिका' का बैकग्राउंड स्कोर भी काफी दमदार है.
फिल्म की खूबियां:-
1. कंगना रनौत का लाजवाब अभिनय
2. फिल्म का शानदार म्यूजिक
फिल्म की खामियां :-
1.पहला हाफ काफी धीमा है
2.फिल्म को ठीक तरीके से एडिट भी नहीं किया गया है.
कितने स्टार्स ?
फिल्म 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' उतार-चढ़ाव से भरी हुई है लेकिन कंगना रनौत का अभिनय आपका दिल जीत लेगा. गणतंत्र दिवस के अवसर पर आपको यह फिल्म जरुर देखनी चाहिए. इस फिल्म को हम तीन स्टार्स देना चाहेंगे.