एसोसिएटेड प्रेस को मंगलवार को प्रस्ताव का मसौदा प्राप्त हुआ जिसमें ‘‘म्यांमा में बढ़ती हिंसा पर चिंता’’ व्यक्त की गई है। म्यांमा में इन दिनों सैन्य शासन और प्रतिरोधी बलों के बीच गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है।
प्रस्ताव में ‘‘बड़े पैमाने पर सुरक्षित, तेजी से और निर्बाध मानवीय सहायता की पहुंच’’ को आसान बनाने का आह्वान किया गया है तथा देश में बिगड़ती मानवीय स्थिति और सहायता पहुंचाने पर लगाए गए प्रतिबंधों पर ‘‘गंभीर चिंता’’ व्यक्त की गई है। इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति के कारण देश में भुखमरी बढ़ रही है।
इसमें आगाह किया गया है कि मौजूदा हालात में भेदभाव, जातीय आधारित हिंसा, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन, मानवाधिकारों का हनन और संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में यौन शोषणा की घटनाएं और अधिक बढ़ने की आशंका है।
लोकतंत्र समर्थक गुरिल्ला और अराकान सेना सहित जातीय अल्पसंख्यक सशस्त्र बल देश के सैन्य शासकों को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सेना ने एक फरवरी 2021 को आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार से सत्ता छीन ली थी। सू ची और उनकी ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ पार्टी के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया था जो अब तक रिहा नहीं हुए हैं।
सेना द्वारा सत्ता हथियाने के बाद जनता का भारी विरोध देखा गया जो कि बाद में गृहयुद्ध में बदल गया।
मसौदा प्रस्ताव में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन ‘आसियान’ की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया गया है। यह संगठन 10 देशों का समूह है जिसके 2021 के शांति प्रस्ताव को म्यांमा के जनरलों ने ठुकरा दिया था।
प्रस्ताव में हिंसा को तत्काल रोकने तथा आसियान राजदूत के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच बातचीत की वकालत की गई है।
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