3 दिसंबर की बड़ी खबरें और अपडेट्स
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत और दुनिया की सारी बड़ी खबरें एक साथ, एक जगह पढ़ने के लिए आप सही जगह पर हैं. इस पेज को हम लगातार अपडेट कर रहे हैं, ताकि ताजा अपडेट लाइव आप तक ला सकें.-डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, पहली बार 90 के पार

- "संचार साथी" ऐप पर संसद में बहस चाहती है कांग्रेस

- भारत दौरे से पहले पुतिन का एलान: रूस-भारत संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे

चार दिसंबर की रात पूरब की ओर देखिए, साल का आखिरी सुपरमून दिखेगा

4 दिसंबर की रात को आसमान में पूरब की ओर देखेंगे, तो आपको 2025 का आखिरी सुपरमून दिखेगा. सुपरमून तब होता है जब पूर्णिमा का चांद, पृथ्वी के सबसे नजदीक आने के समय से मेल खाता है. इस दौरान चंद्रमा सामान्य से 10 प्रतिशत बड़ा और कहीं ज्यादा चमकीला दिखता है.

4 दिसंबर 2025 को चंद्रमा पृथ्वी से करीब 27,300 किलोमीटर नजदीक होगा. यह सुपरमून "कोल्ड फुलमून" के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह ठंडे, अंधेरे महीनों का संकेत है. अगर आसमान साफ हो, तो क्षितिज से उगते चंद्रमा को सामान्य से बड़े आकार का देखा जा सकता है. हालांकि, ज्यादातर लोगों को यह फर्क महसूस ही नहीं होगा.

अमेरिका में जवानों पर गोली चलाने के आरोपित का अफगानिस्तान से लेना-देना नहीं: तालिबान

तालिबान सरकार ने बुधवार, 3 दिसंबर को कहा कि अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में नेशनल गार्ड के दो जवानों पर हुई कथित गोलीबारी का अफगानिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. पिछले महीने हुई इस वारदात में एक जवान की मौत हो गई थी.

तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक वीडियो में विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने कहा, "इस कृत्य को अंजाम देने वाले व्यक्ति को खुद अमेरिकियों ने ट्रेनिंग दी थी. इसलिए, इस घटना का अफगान सरकार या अफगान लोगों से कोई लेना-देना नहीं है. " वाइट हाउस के पास हुई गोलीबारी पर तालिबान की यह पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया रही.

संदिग्ध हमलावर रहमानुल्लाह एल की उम्र 29 साल बताई गई है. 26 नवंबर को हुई गोलीबारी में अभियुक्त ने खुद को निर्दोष बताया है. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, अभियुक्त अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ने वाली सीआईए समर्थित "पार्टनर फोर्स" का हिस्सा था. 2021 में अमेरिका की सैन्य वापसी के बाद पुनर्वास कार्यक्रम के तहत रहमानुल्लाह को उसकी पत्नी और बच्चों समेत अमेरिका लाया गया था.

मुत्तकी ने कहा, "उन्होंने (अमेरिका ने) इस व्यक्ति को प्रशिक्षित किया, नौकरी दी, और वह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उलट अवैध प्रक्रिया से अफगानिस्तान छोड़कर गया था."

तुर्की सरकार ने बताया, 31.1% के साथ महंगाई चार सालों के सबसे निचले स्तर पर

तुर्की की वार्षिक महंगाई दर नवंबर में 31.1 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर के 32.87 प्रतिशत से कम है. देश के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यह पिछले चार वर्षों में तुर्की में महंगाई का सबसे निचला स्तर है. तुर्की में महंगाई दर 2019 से ही दहाई अंकों (यानी न्यूनतम 10 फीसदी से ज्यादा) में रही है. इससे करोड़ों लोगों के लिए बुनियादी चीजों समेत सामान और सेवाएं महंगी होती जा रही हैं.

पिछले एक साल के मुकाबले में, शिक्षा क्षेत्र में मुद्रास्फीति 66.2% बढ़ी है और रिहाइश के मामले में 49.9%. बिजली, गैस और एयर कंडीशनिंग के उत्पादक मूल्य 24.92% बढ़े, जबकि जल आपूर्ति की कीमतों में 57.62% तक इजाफा दर्ज किया गया. तुर्की में महंगाई का आंकड़ा मई 2024 में 75% को पार कर गया था. इसके बाद गिरावट दर्ज की गई और अब नवंबर 2021 के बाद यह सबसे निचले स्तर पर है.

सेंट्रल बैंक का अनुमान है कि इस साल के आखिर तक महंगाई दर 31 से लेकर 33% के बीच होगी. हालांकि, मुद्रास्फीति अनुसंधान समूह ईएनएजी के स्वतंत्र अर्थशास्त्री इन आधिकारिक आंकड़ों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. उनका मानना है कि सालाना महंगाई दर करीब 56.82% रही है.

फ्रीज हुईं रूसी संपत्तियों के बदले यूक्रेन को ऋण देने से झिझक रहा बेल्जियम

बेल्जियम के विदेश मंत्री माक्सिम प्रेवो ने कहा है कि फ्रीज की गई रूसी संपत्तियों को, यूक्रेन को ऋण के तौर पर देने की यूरोपीय संघ की योजना से जुड़ी बेल्जियम की चिंताएं अभी खत्म नहीं हुई हैं. प्रेवो ने कहा कि यूरोपीय आयोग के प्रस्ताव "हमारी चिंताओं का संतोषजनक तरीके से हल नहीं देते हैं." उन्होंने जोर देकर कहा कि बेल्जियम सभी सुरक्षा उपाय चाहता है.

जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने कहा कि बर्लिन, ब्रसेल्स की आपत्तियों को गंभीरता से ले रहा है. उन्होंने कहा कि अगर यूरोपीय संघ के सहयोगी एकजुट रहें तो समाधान संभव है. 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के तहत लगभग 300 अरब यूरो की रूसी संपत्तियां फ्रीज कर दी गई थीं.

अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और जापान समेत कई देशों के पास ये संपत्तियां हैं, लेकिन सबसे बड़ा हिस्सा यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के पास है. और इनमें भी सबसे अधिक 180 अरब यूरो, बेल्जियम की यूरोक्लियर कंपनी के पास है.

यूरोपीय संघ के देश इन संपत्तियों से यूक्रेन के पुनर्निर्माण की फंडिंग पर बहस कर रहे हैं. लेकिन बेल्जियम ने अक्टूबर में प्रस्तावित "क्षतिपूर्ति ऋण" को वीटो कर दिया था. बेल्जियम ने चेतावनी दी थी कि इससे भविष्य में कानूनी चुनौतियां आ सकती हैं. और अगर रूस वापस अपनी संपत्ति मांगे तो जोखिम बेल्जियम को उठाना पड़ेगा. बेल्जियम चाहता है कि ईयू के बाकी देश भी ऋण से जुड़ी गारंटी दें और दायित्व साझा करें.

गर्भवती महिला और उसके बेटे को बांग्लादेश से वापस लाने पर राजी हुआ भारत

भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि बांग्लादेश निर्वासित की गई महिला सुनेली खातून और उसके आठ साल के बेटे को मानवीय आधार पर भारत वापस लाया जाएगा. इन दोनों को इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश निर्वासित किया गया था. चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि “कानून को मानवता के आगे झुकना चाहिए” और ऐसे मामलों में अलग दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सुनेली खातून और उसका बेटा सबीर “मानवीय आधार” पर भारत लाए जाएंगे और उन पर उचित निगरानी रखी जाएगी. अदालत ने आदेश में दर्ज किया कि सुनेली जो गर्भवती हैं, को तुरंत मेडिकल देखभाल दी जाए. इसके लिए संबंधित एजेंसियों को दोनों देशों के बीच समन्वय करने का निर्देश दिया गया.

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और संजय हेगड़े की दलीलों पर गौर करते हुए अदालत ने सुनेली को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में अपने परिजनों के पास अस्थायी रूप से रहने की अनुमति दी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इसी साल जून में सुनेली खातून को दिल्ली के रोहिणी से पकड़ कर निर्वासित कर दिया गया था. वह यहां दिहाड़ी-मजदूरी करती थीं.

इंडिगो की 70 से अधिक फ्लाइट्स रद्द होने से यात्री परेशान

देश की बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने बुधवार को 70 से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं, जिनमें बेंगलुरु और मुंबई जैसे प्रमुख हवाईअड्डों से जाने वाली उड़ानें शामिल हैं. मीडिया में सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि एयरलाइन को क्रू की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते कई उड़ानें समय पर ऑपरेट नहीं हो सकीं और यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही हैं.

इंडिगो ने बयान जारी कर कहा कि हाल के दिनों में तकनीकी समस्याओं, हवाईअड्डों पर भीड़ और ऑपरेशन संबंधी आवश्यकताओं के कारण कई उड़ानों में देरी और कैंसिलेशन हुआ है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि स्थिति तब बिगड़ी जब 1 नवंबर से लागू हुए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) के दूसरे चरण के नियमों ने क्रू शेड्यूलिंग को प्रभावित किया.

एफडीटीएल नियमों का उद्देश्य पायलटों और क्रू के काम करने के घंटों को सीमित कर थकान से बचाव और सुरक्षा सुनिश्चित करना है. लेकिन इन नए नियमों के कारण एयरलाइन को अतिरिक्त क्रू की जरूरत पड़ रही है, जिससे ऑपरेशन पर दबाव बढ़ गया है. मंगलवार से हालात बिगड़ने लगे और बुधवार को देशभर के कई हवाईअड्डों पर उड़ानों में भारी देरी और कैंसिलेशन देखने को मिला.

ट्रंप प्रशासन ने 19 देशों के प्रवासियों की इमिग्रेशन प्रक्रिया रोकी

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने मंगलवार को घोषणा की कि 19 गैर-यूरोपीय देशों के प्रवासियों के सभी लंबित इमिग्रेशन आवेदन, जिनमें ग्रीन कार्ड और नागरिकता प्रक्रियाएं शामिल हैं, अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं. यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा चिंताओं के आधार पर उठाया गया है.

नए आदेश में उन देशों को निशाना बनाया गया है, जिन पर जून में आंशिक यात्रा प्रतिबंध लगाया गया था. इनमें अफगानिस्तान, सोमालिया, सूडान, ईरान, लीबिया, यमन और अन्य शामिल हैं. प्रशासन ने हाल ही में वॉशिंगटन में नेशनल गार्ड पर हुए हमले का हवाला दिया है, जिसमें एक अफगान नागरिक को गिरफ्तार किया गया था.

मेमोरेंडम के मुताबिक, इन देशों के आवेदकों की फाइलों का पुनरीक्षण किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर दोबारा इंटरव्यू भी लिया जाएगा. इस नीति के चलते कई नागरिकता शपथ समारोह और इंटरव्यू रद्द होने की रिपोर्ट सामने आई है.

यूक्रेन पर अमेरिका-रूस की बात आगे बढ़ी, पर "बड़ी रुकावटें बाकी"

अमरीका और रूस ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध खत्म पर मॉस्को में हुई बातचीत में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन बड़े रुकावटें अभी बाकी हैं. 2 दिसंबर को अमरीकी दूत स्टीव विटकॉफ और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दामाद जेरेड कुश्नर ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ घंटों लंबी बातचीत की, जो बिना किसी समझौते के खत्म हुई.

क्रेमलिन के शीर्ष सलाहकार यूरी उशाकोव ने कहा कि यूक्रेन में कौन सा क्षेत्र किसे मिलेगा, इस अहम मसले पर कोई समझौता नहीं हुआ है. उन्होंने बातचीत को "बहुत उपयोगी और रचनात्मक" बताया, भले ही इस दौरान रूस ने कई प्रस्तावों पर आलोचनात्मक और "यहां तक कि नकारात्मक" रुख अपनाया हो.

अमरीकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने फॉक्स न्यूज को बताया कि बातचीत का केंद्र वे शर्तों पर रहीं जिन्हें मानने की स्थिति में यूक्रेन हो और साथ ही उसकी दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने कहा, अमरीका उम्मीद करता है कि यह समझौता यूक्रेनियों को "ना सिर्फ अपनी अर्थव्यवस्था दोबारा खड़ी करने, बल्कि देश के तौर पर समृद्ध होने" का मौका देगा.

गोपनीयता विवाद के बीच भारत ने "संचार साथी" ऐप की अनिवार्यता खत्म की

भारत सरकार ने बुधवार, 3 दिसंबर को स्मार्टफोन निर्माताओं के लिए "संचार साथी" ऐप को प्री-इंस्टॉल करने का आदेश वापस ले लिया. सरकार का कहना है कि यह फैसला ऐप की बढ़ती लोकप्रियता और डाउनलोड संख्या को देखते हुए लिया गया है. पिछले 24 घंटे में छह लाख से अधिक लोगों ने ऐप डाउनलोड किया है, जबकि कुल उपयोगकर्ता संख्या 1.4 करोड़ तक पहुंच गई है.

दूरसंचार मंत्रालय ने कहा कि अनिवार्यता का मकसद ऐप को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना था. सरकार ने स्पष्ट किया कि यह ऐप केवल साइबर सुरक्षा के लिए है और उपयोगकर्ता इसे अपनी इच्छा से हटा सकते हैं. इससे पहले संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में कहा, "संचार साथी ऐप से जासूसी संभव नहीं है और कभी होगी भी नहीं." कांग्रेस ने इस मुद्दे पर लोकसभा में सवाल किया था और कहा था, "ऐप को डिसेबल करने के बाद भी उपयोगकर्ता यह नहीं जान पाएंगे कि इसकी सभी सुविधाएं वास्तव में बंद हुई हैं या नहीं. ऐसी स्थिति में यह मुद्दा गोपनीयता के अधिकार के उल्लंघन और जासूसी की आशंकाओं से घिरा हुआ है."

इस आदेश के खिलाफ विपक्षी दलों और एक्टिविस्टों ने दो दिनों तक विरोध किया. उनका आरोप था कि यह कदम निजता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है और ऐप का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एप्पल जैसी बड़ी कंपनियां इस आदेश को कानूनी चुनौती देने की तैयारी कर रही थीं.

दरअसल, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन्स ने 28 नवंबर को एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक मोबाइल फोन बनाने वाली सभी कंपनियों को भारत में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोनों में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल करना जरूरी बताया गया था. साथ ही, पुराने फोनों में सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह ऐप इंस्टॉल करने का आदेश दिया गया था.

2027 तक रूस से गैस खरीदना पूरी तरह बंद कर देगा यूरोपीय संघ

यूरोपियन काउंसिल ने बुधवार (3 दिसंबर) को कहा कि उसने 2027 तक सभी रूसी गैस आयात खत्म करने के लिए यूरोपीय संसद के साथ सहमति बना ली है.

इस समझौते से यूरोपीय संघ की रूसी ऊर्जा पर निर्भरता खत्म करने के लिए एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समय सीमा तय हो गई. इस समझौते के मुताबिक, रूसी एलएनजी आयात पर 2026 के अंत से प्रतिबंध लग जाएगा और पाइपलाइन से आने वाली गैस पर 2027 के आखिर तक रोक लग जाएगी.

रूसी कंपनियों से हुए कम-अवधि और लंबी-अवधि के करार चरणबद्ध समयसीमाओं के तहत खत्म किए जाएंगे. इस साल अक्टूबर तक यूरोपीय संघ के गैस आयात का 12 प्रतिशत हिस्सा रूस से आ रहा था. 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले से पहले यह आंकड़ा 45 प्रतिशत था.

डेनमार्क के जलवायु मंत्री लार्स आगार्ड ने इस समझौते को "हमारे और पूरे यूरोप के लिए बड़ी जीत" बताया. आगार्ड ने कहा, "हमें यूरोपीय संघ की रूसी गैस पर निर्भरता खत्म करनी होगी, और इसे स्थायी रूप से प्रतिबंधित करना सही दिशा में एक अहम कदम है." युद्ध के बाद लगे प्रतिबंधों के बावजूद रूस, यूरोपीय संघ को ऊर्जा आपूर्ति से अरबों डॉलर कमा रहा है.

यूक्रेन को और सैन्य मदद देंगे नाटो सहयोगी, विदेश मंत्रियों की बैठक आज

नाटो देशों के विदेश मंत्री बुधवार, 3 दिसंबर को ब्रसेल्स में मिल रहे हैं. इस बैठक में यूक्रेन के लिए अधिक सहायता और नाटो देशों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के प्रयासों पर चर्चा होगी. नाटो महासचिव मार्क रुटे ने बैठक से पहले जोर देकर कहा कि रूसी हमलों के मद्देनजर यूक्रेन अभी भी सैन्य सहायता पर निर्भर है. उन्होंने नाटो सदस्यों से यूक्रेन को और अधिक मदद देने की अपील की.

जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने बुधवार को कहा कि जर्मनी प्राइयोरेटाइज्ड यूक्रेन रिक्वायरमेंट लिस्ट (पीयूआरएल) के जरिए यूक्रेन के लिए 20 करोड़ डॉलर के अतिरिक्त सैन्य उपकरण खरीदेगा. नॉर्वे के विदेश मंत्री एस्पेन बार्थ ईडे ने भी पीयूआरएल के तहत यूक्रेन के लिए हथियार खरीदने का वादा किया है, जिसके लिए वे 50 करोड़ यूरो देंगे.

कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने कहा है कि यूक्रेन के लिए 20 करोड़ डॉलर की सैन्य सामग्री खरीदी जाएगी. इसके अलावा एस्टोनिया ने कहा है कि अगर यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटियों में शांति बल भी शामिल हो तो उनका देश यूक्रेन में सैनिक भेजेगा.

मलेशिया एयरलाइंस की लापता फ्लाइट एमएच370 की खोज फिर शुरू होगी

मलेशिया के परिवहन मंत्रालय ने बुधवार, 3 दिसंबर को बताया कि मलेशिया एयरलाइंस की लापता फ्लाइट एमएच370 की खोज 30 दिसंबर से फिर शुरू की जाएगी. यह कदम उस रहस्य को सुलझाने की दिशा में है जिसने दुनिया को पिछले एक दशक से उलझा रखा है. 2014 में कुआलालम्पुर से बीजिंग जा रही यह बोइंग 777 उड़ान लापता हो गई थी. उस वक्त विमान में 227 यात्री और 12 क्रू मेंबर सवार थे.

मंत्रालय ने बताया कि खोज अभियान समुद्र तल पर 55 दिनों तक अंतराल में चलाया जाएगा. यह काम एक्सप्लोरेशन फर्म ओशन इन्फिनिटी करेगी, जिसने पहले भी 2018 तक खोज की थी लेकिन सफलता नहीं मिली थी. इस बार खोज उस क्षेत्र में होगी जिसे विमान के मिलने की सबसे अधिक संभावना वाला माना गया है. हालांकि, सटीक स्थान का खुलासा नहीं किया गया है.

नई जगह एमएच370 की खोज

मलेशिया सरकार ने कहा है कि यदि अभियान के दौरान विमान का महत्वपूर्ण मलबा मिलता है तो ओशन इन्फिनिटी को सात करोड़ डॉलर का भुगतान किया जाएगा. खोज दक्षिणी हिंद महासागर के 15,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में की जाएगी. पिछली बार खराब मौसम के कारण खोज अभियान रोकना पड़ा था.

2018 की जांच रिपोर्ट में संकेत मिले थे कि विमान का मार्ग जानबूझकर बदला गया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि इसके पीछे कौन था. इस उड़ान में 150 से अधिक चीनी यात्री थे, साथ ही मलेशिया, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका सहित कई देशों के नागरिक सवार थे.

भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को किया खारिज, श्रीलंका राहत मिशन पर विवाद

भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार, 2 दिसंबर को पाकिस्तान के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि भारत ने श्रीलंका के लिए राहत सामग्री ले जाने वाले पाकिस्तानी विमानों को ओवरफ्लाइट अनुमति देने में देरी की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे "भ्रामक और बेतुका" बताते हुए कहा कि भारत ने पारदर्शी और त्वरित कार्रवाई की है.

जायसवाल ने साफ किया कि पाकिस्तान का अनुरोध भारत को 1 दिसंबर को दोपहर 1 बजे मिला था और उसी दिन शाम 5:30 बजे अनुमति दे दी गई. उन्होंने कहा, "श्रीलंका में मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए भारत ने अनुरोध को प्राथमिकता दी और प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम के अनुसार अनुमति प्रदान की."

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर दावा किया था कि भारत ने राहत मिशन में बाधा डाली और 60 घंटे से अधिक समय तक विमान को इंतजार करना पड़ा. पाक विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि भारत द्वारा दी गई अनुमति "आंशिक और अव्यावहारिक" थी, जिसमें वापसी उड़ान की मंजूरी शामिल नहीं थी. भारत ने इन आरोपों को निराधार बताया.

श्रीलंका में चक्रवात "दित्वाह" से भारी तबाही हुई है. देश के आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार, 16 नवंबर से अब तक 410 लोगों की मौत हो चुकी है और 336 लापता हैं. भारत ने "ऑपरेशन सागर बंधु" शुरू कर प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्य तेज कर दिए हैं.

ईरानी फिल्म निर्माता जफर पनाही को एक साल जेल की सजा सुनाई गई

ईरान में प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता जफर पनाही को उनकी गैर-मौजूदगी में एक साल जेल की सजा दी गई है. ईरान की रिवॉल्यूशनरी कोर्ट ने कथित दुष्प्रचार गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में यह सजा सुनाई. जफर के वकील के हवाले से आईएसएनए समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी है.

अदालत ने उनपर दो साल तक यात्रा न करने का प्रतिबंध भी लगाया है. साथ ही, उनपर किसी भी तरह के राजनीतिक या सामाजिक समूहों के साथ जुड़ने या काम करने पर भी रोक लगा दी गई है. जफर ईरान में नहीं हैं. जिस दिन उन्हें सजा सुनाई गई, उसी दिन वह न्यूयॉर्क के गॉथम अवॉर्ड्स कार्यक्रम में मौजूद थे. यहां उन्हें उनकी फिल्मों के लिए 'सर्वश्रेष्ठ निर्देशक' समेत तीन पुरस्कार दिए गए. जफर ने ना खुद को दी गई सजा पर कोई टिप्पणी की है, ना ही यह कहा है कि उनका ईरान लौटने का कोई इरादा है.

यह पहली बार नहीं है, जब जफर को सजा सुनाई गई हो. दशकों तक वह सेंसरशिप का शिकार होते आए हैं. विपक्षी 'ग्रीन मूवमेंट प्रोटेस्ट' का समर्थन करने के कारण साल 2010 में ईरान ने उनपर 20 साल तक फिल्म ना बनाने का बैन लगा लगा दिया. अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने पर भी रोक लगा दी गई. इन प्रतिबंधों के बावजूद जफर ने फिल्म बनाने और अपनी अभिव्यक्ति को दुनिया के आगे पहुंचाने के नए तरीके खोजे. घर के अपने कमरे को फिल्म का सेट बनाना हो, या कार को चलता-फिरता स्टूडियो, जफर ने अपनी फिल्में शूट कीं, एडिट कीं, और उन्हें ईरान से बाहर स्मगल किया.

जुलाई 2022 में उन्हें गिरफ्तार कर तेहरान की ईविन जेल में रखा गया था. करीब सात महीने की कैद और भूख हड़ताल के बाद फरवरी 2023 में उन्हें रिहाई मिली. ईरान की सुप्रीम कोर्ट में भी उन्हें न्यायिक जीत मिली और अदालत ने 2010 के पुराने फैसले को पलट दिया.

भारत दौरे से पहले पुतिन का एलान: रूस-भारत संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार, 2 दिसंबर को कहा कि मॉस्को भारत और चीन के साथ सहयोग को "गुणात्मक रूप से नए स्तर" पर ले जाने का लक्ष्य रखता है. उन्होंने यह बयान मॉस्को में एक निवेश मंच पर दिया. पुतिन 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर दो दिवसीय दौरे के लिए भारत आ रहे हैं और 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने कहा कि ऊर्जा, उद्योग, अंतरिक्ष, कृषि और अन्य क्षेत्रों में चल रही संयुक्त परियोजनाओं का उद्देश्य तकनीकी सहयोग को मजबूत करना है. उन्होंने यह भी बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ आर्थिक मुद्दों पर सार्थक संवाद स्थापित हो चुका है और भारत दौरे के दौरान पीएम मोदी के साथ भारतीय वस्तुओं के आयात बढ़ाने पर चर्चा होगी.

इस बीच क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने संकेत दिया कि पुतिन के दौरे के दौरान अतिरिक्त एस-400 मिसाइल सिस्टम की बिक्री और पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमान एसयू-57 पर चर्चा हो सकती है. उन्होंने ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना को दोनों देशों के बीच उच्च तकनीकी आदान-प्रदान का उदाहरण बताया और रक्षा उद्योग में भविष्य के सहयोग को उजागर किया.

पेस्कोव ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर समझौते की संभावना है. उन्होंने याद दिलाया कि रूस ने भारत में शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर कुडनकुलम परियोजना में.