मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल आ चुके हैं. अधिकतर पोल में महायुति (बीजेपी-शिंदे गुट) को बढ़त दी जा रही है. लेकिन क्या यह नतीजे अंतिम हैं? ऐसा कहना जल्दबाजी होगी. वोटिंग प्रतिशत में हुआ बदलाव कुछ और कहानी दिखा सकते हैं. इस बार मतदान 2019 के विधानसभा चुनावों से करीब 4 फीसदी ज्यादा हुआ है. राजनीतिक विश्लेषक इसे सत्ता विरोधी लहर से जोड़कर देख रहे हैं. अब ये 23 नवंबर को नतीजों के साथ ही पता चलेगा कि ज्यादा मतदान सरकार के खिलाफ गुस्से का संकेत है, या इस बार वोटर्स ने किसी और वजह से ज्यादा भागीदारी दिखाई.
आइए, जानते हैं कि इस बार की वोटिंग के आंकड़े क्या कहते हैं और कैसे यह 2024 के चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं.
मतदान प्रतिशत से होगा खेला?
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार महाराष्ट्र में 65.02% मतदान हुआ. 2019 में यह आंकड़ा 61.74% था. 2014 में 63% और 2009 में 59% वोटिंग हुई थी. यहां मतदान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी का रुझान दिखता है, लेकिन इस बार 4% का उछाल सामान्य से अधिक है.
Maharashtra Exit Poll Results 2024: महाराष्ट्र में फिर महायुती सरकार, पोल ऑफ पोल्स में MVA को झटका.
पिछली बार के मुकाबले 4 फीसदी अधिक मतदान
Voter Turnout – 65.02% in #Maharashtra and 68.45% in #Jharkhand as of 11:30
PM; surpasses voting in 2019 elections in both the states.
Read the detailed PN here on this link : https://t.co/oqDpG1wIT5 #MaharashtraElection2024 #JharkhandElections2024 #ECI #Elections2024
— Election Commission of India (@ECISVEEP) November 20, 2024
मतदान प्रतिशत और सत्ता परिवर्तन का पैटर्न
भारत के कई राज्यों में ज्यादा मतदान का मतलब अक्सर सत्ता परिवर्तन से लगाया जाता है. उदाहरण के तौर पर:
- हरियाणा: जब मतदान पिछले चुनाव के बराबर रहा, तो बीजेपी दोबारा सत्ता में आई.
- दिल्ली और राजस्थान: ज्यादा मतदान ने सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ जनादेश दिया.
महाराष्ट्र में इस बार ज्यादा वोटिंग सत्ता विरोधी लहर का संकेत हो सकती है, लेकिन यहां मुकाबला इतना आसान नहीं है.
2019 से 2024: राजनीतिक समीकरण कैसे बदले?
2019 में, बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल किया. लेकिन चुनाव के बाद सत्ता संघर्ष के कारण उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. इस गठबंधन ने 2024 में एकजुट होकर चुनाव लड़ा, लेकिन शिवसेना टूटने के कारण वोट बैंक बंटने का खतरा है. एकनाथ शिंदे और बीजेपी का गठबंधन अब महायुति के रूप में सामने है.
एग्जिट पोल और जमीनी सच्चाई
एग्जिट पोल में महायुति को बढ़त दिखाई गई है. हालांकि जमीनी सच्चाई यह भी है कि ज्यादा वोटिंग ने सभी समीकरण उलझा दिए हैं.
मराठवाड़ा में सबसे आशिक वोटिंग
इस बार मराठवाड़ा में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है. यह इलाका मराठा आंदोलन और आरक्षण की मांग से प्रभावित रहा है. यहां का रुझान महाराष्ट्र के नतीजों में बड़ा फर्क डाल सकता है.
एक्सपर्ट की राय: किसके पक्ष में है ज्यादा मतदान?
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ज्यादा मतदान जरूरी नहीं कि सत्ता विरोधी लहर का संकेत हो. महाराष्ट्र में पार्टी गठबंधन और जातीय समीकरण अक्सर नतीजों को प्रभावित करते हैं. वहीं क्षेत्रीय प्रभाव की बात करें तो हर क्षेत्र का अपना अलग मतदाता वर्ग और प्राथमिकताएं हैं.
महायुति, महाविकास अघाड़ी, और क्षेत्रीय ताकतों के बीच कड़ा मुकाबला नतीजों को रोमांचक बना देगा. एग्जिट पोल कुछ भी कहें, लेकिन असली नतीजे यह तय करेंगे कि महाराष्ट्र की राजनीति में नया इतिहास लिखा जाएगा या पुराना दौर ही कायम रहेगा.