नागरिकता संशोधन बिल 2019 के भारी विरोध के बीच बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन ने भारत दौरा रद्द किया
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ( फोटो क्रेडिट- ANI )

नागरिकता संशोधन बिल 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) पर जारी भारी विरोध के बीच बांग्लादेश (Bangladesh) के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमन (AK Abdul Momen) ने अपना भारत (India) दौरा रद्द कर दिया है. वह 12-14 दिसंबर के बीच भारत के दौरे पर आने वाले थे. विदेश मंत्रालय द्वारा पहले जारी सूचना के अनुसार मोमेन को गुरुवार को शाम पांच बजकर 20 मिनट पर नई दिल्ली पहुंचना था. सूत्रों का कहना है कि विधेयक के पारित होने के बाद के हालात को देखते हुए उन्होंने अपनी यात्रा रद्द की है. उधर, एके अब्दुल मोमन ने अपनी भारत यात्रा रद्द करने पर सफाई देते हुए कहा कि मुझे नई दिल्ली (New Delhi) की अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी क्योंकि मुझे 'Buddijibi Debosh' और 'Bijoy Debosh' व अन्य कार्यक्रमों में शामिल होना है.

उन्होंने बताया कि हमारे राज्य मंत्री देश से बाहर मैड्रिड (Madrid) में हैं और हमारे विदेश सचिव हेग (Hague) में हैं. अब्दुल मोमन ने कहा कि घर पर बढ़ती मांग को देखते हुए, मैंने यात्रा को रद्द करने का फैसला किया है. हालांकि, मैं जनवरी में अगली बैठक में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं. मैं हमारे डीजी को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भेज रहा हूं. यह भी पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के कारण त्रिपुरा और असम आने-जाने वाली सभी यात्री ट्रेनें निलंबित, कई उड़ानों पर भी असर.

इससे पहले अब्दुल मोमेन ने बुधवार को कहा था कि नागरिकता संशोधन बिल से भारत की ऐतिहासिक धर्मनिरपेक्ष छवि कमजोर होगी. उन्होंने अपने देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताए जाने के आरोपों का भी खंडन किया था. अब्दुल मोमेन ने भारतीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के सताए जाने के आरोप को झूठ करार दिया और कहा था कि ‘जिन्होंने भी उन्हें यह सूचना दी वह सही नहीं है.’ उन्होंने कहा था, ‘हमारे देश के कई अहम फैसले विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों द्वारा लिए जाते हैं… हम किसी का भी आकलन उनके धर्म से नहीं करते.'

उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन बिल बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया. इससे पहले यह विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो चुका है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.