हवाई सफर करने वाले बहुतायत यात्री विंडो सीट की चाहत रखते हैं. क्योंकि आकाश में उड़ते वायुयान से 35 हजार फिट नीचे का नजारा देखना अद्भुत और जिज्ञासा पूर्ण होता है. लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर भी गौर किया है कि जिस विंडो से आप प्रकृति का नजारा देख रहे हैं, वह गोलाकार या अंडाकार क्यों होता है? चौकोर (square) या आयताकार (rectangle) क्यों नहीं होता? आज हम यही जानने की कोशिश करेंगे कि वायुयान की खिड़कियां गोली क्यों होती है.
क्या शुरु से ऐसी होती थीं वायुयान की खिड़कियां?
लगभग 118 साल पहले 17 दिसंबर 1903 को राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज का आविष्कार किया, तब इसकी खिड़कियां एसी ट्रेनों की तरह चौकोर या आयताकार होती थीं. चौकोर खिड़की वाले ये हवाई जहाज 50 के दशक तक चलते रहे, लेकिन साल 1953 में एक के बाद एक हवा में दो वायुयान दुर्घटना हुईं, जिसकी वजह से लगभग 56 लोग मारे गये. जांच-पड़ताल के बाद पाया गया कि दुर्घटना की मुख्य वजह वायुयान की वर्गाकार खिड़कियां थीं, क्योंकि वर्गाकार खिड़कियां होने के कारण इसके चारों स्पॉट्स पर प्रेशर पड़ने पर तेज हवा के दबाव में चटखने की संभावना ज्यादा रहती थी. जिसकी वजह से कभी भी एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी.
इसके बाद कुछ वायुयानों में प्रयोग के तौर पर गोल एवं अंडाकार शेप वाली खिड़कियां बनाई गई, और पाया गया कि गोल या अंडाकार खिड़कियां हवा के बाहरी दबाव को आसानी से डिस्ट्रीब्यूट कर देती हैं, उन पर वायु का दबाव ज्यादा नहीं पड़ने पाता, जिसकी वजह से खिड़कियों के चटखने की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है. इस कारण से दुर्घटना की संभावना कम रहती है. उम्मीद है अब जब आप हवाई सफर करेंगे तो इस बात पर गौर करेंगे और सोचेंगे, कि वायुयान की खिड़की गोल क्यों होती है.