Shani Pradosh & Yam Deepam: शनि प्रदोष के दिन यम-दीपम का विशेष महत्व क्यों बताया जा रहा है? जानें यम-दीपम की सही विधि!

दीपावली की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. इस वर्ष पांच दिवसीय दीपावली के प्रथम पर्व यम-दीपम के संदर्भ में ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि शनि प्रदोष के दिन यम-दीपम पड़ने से इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ गया है. उनके अनुसार यह शनिदेव (Shani Dev) से संबंधित दोषों को दूर करने और अकाल मृत्यु के भय को समाप्त करने के लिए किया जाता है. इस दिन शनि देव की पूजा के साथ-साथ दक्षिण दिशा में यम के नाम का दीपक प्रज्वलित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है,  जिसके कारण सुख-समृद्धि और दीर्घायु प्राप्त होने के साथ-साथ घर-परिवार की सुरक्षा भी बनी रहेगी. गौरतलब है कि इस वर्ष 18 अक्टूबर 2025 को यम दीपम का पर्व मनाया जाएगा. आइये जानें इस संदर्भ में विस्तार से और साथ ही जानें कि यम दीपम का मुहूर्त एवं इसे प्रज्वलित करने की सही विधि क्या है..

यम दीपम का शुभ समय

यम दीपम शुभ कालः 05.49 PM से 07.05 PM (18 अक्टूबर 2025) तक

इस वर्ष क्यों महत्वपूर्ण बताया जा रहा है यम दीपम का आयोजन

शनि देव की कृपा: शनि प्रदोष (Shani Pradosh) का व्रत शनि देव की पीड़ा से मुक्ति दिलाता है, क्योंकि शनि देव भगवान शिव के अनुयायी हैं, और प्रदोष तिथि भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है, इसलिए इस दिन भगवान यमराज के नाम दीप जलाने का विशेष महत्व है यह भी पढ़ें : Dhanteras 2025: सोना महंगा है तो धनतेरस पर ये वस्तुएं खरीदकर भी घर में शुभता और सौभाग्य ला सकते हैं! जानें क्या वस्तुएं खरीदें!

अकाल मृत्यु का भय समाप्त:  हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार यम दीपम वस्तुतः यमराज को समर्पित पर्व है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन यम के नाम दीप जलाने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है.

सुख-समृद्धि और दीर्घायु:  इस दिन सही मुहूर्त पर यम दीपम प्रज्वलित करने से घर में सुख-समृद्धि एवं शांति बनी रहती है. परिवार के सदस्य दीर्घायु और निरोगी होते हैं.

शनि दोष से मुक्ति:  शनि प्रदोष के दिन यम दीपम प्रज्वलित करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और शनि से संबंधित दोष दूर होते हैं.

यम दीपम प्रज्वलित करने की सही विधि

कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी के दिन ही धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, इसलिए इस दिन सूर्यास्त के पश्चात सर्वप्रथम घर के मुख्य द्वार पर, इसके बाद घर के आंगन में 13 दीप प्रज्वलित करते हैं. अंत में घर के पीछे की ओर दक्षिण दिशा में भगवान यमराज का ध्यान कर यम दीपम प्रज्वलित करने का विधान है, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा बताई जाती है.