Why Pink Ball Used in Day-Night Test? डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट आज आधुनिक क्रिकेट का एक रोमांचक और महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, और वर्तमान में ब्रिस्बेन के गाबा में एशेज़ 2025-26 का दूसरा टेस्ट इस स्वरूप का बेहतरीन उदाहरण पेश कर रहा है. ऑस्ट्रेलिया अब तक 15 डे-नाइट टेस्ट खेल चुका है, जो किसी भी टीम से सबसे अधिक है, जबकि इंग्लैंड केवल 7 ऐसे मुकाबले खेल पाया है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ICC ने यह डे-नाइट टेस्ट का कॉन्सेप्ट क्यों लाया, और इस प्रारूप में पिंक बॉल का ही इस्तेमाल क्यों होता है? दूसरी पारी में इंग्लैंड ने 6 विकेट खोकर बनाए 134 रन, ऑस्ट्रेलिया से अभी भी 43 पीछे, यहां देखें पूरा स्कोरकार्ड
डे-नाइट टेस्ट क्यों शुरू किए गए?
पिछले एक दशक में टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता में लगातार गिरावट देखी गई. टी20 और वनडे क्रिकेट की तेज़ और मनोरंजक लय ने दर्शकों का रुझान बड़ी संख्या में अपनी ओर खींच लिया. इसके चलते लंबे फॉर्मेट यानी टेस्ट मैचों को देखने वाले प्रशंसकों की संख्या कम होने लगी. इसी चुनौती से निपटने के लिए ICC ने डे-नाइट टेस्ट मैचों की शुरुआत की, ताकि लोग काम या पढ़ाई के बाद स्टेडियम पहुंच सकें और टीवी या मोबाइल पर रात में आराम से मैच देख सकें. यह फैसला खेल में नए दर्शकों को जोड़ने और टेस्ट क्रिकेट को फिर से लोकप्रिय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम था.
डे-नाइट टेस्ट में पिंक बॉल ही क्यों?
1. बेहतर विजिबिलिटी: लाल गेंद रात में फ्लडलाइट्स के नीचे साफ दिखाई नहीं देती, जबकि सफेद गेंद टेस्ट क्रिकेट में खिलाड़ियों की सफेद जर्सी से मिल जाती है. इसलिए पिंक बॉल खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों के लिए सबसे स्पष्ट रंग साबित होती है.
2. दिन और रात दोनों में समान प्रभाव: पिंक बॉल दिन के प्राकृतिक प्रकाश में भी नजर आती है और रात में कृत्रिम रोशनी में भी चमकती रहती है, जिससे पूरा मैच निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी बना रहता है.
3. अधिक स्विंग और चुनौती: पिंक बॉल पारंपरिक लाल गेंद की तुलना में अंतिम सत्र में अधिक स्विंग करती है, जिससे बल्लेबाज़ों के लिए खेल और मुश्किल हो जाता है तथा मैच का रोमांच कई गुना बढ़ जाता है. अक्सर इसका फायदा तेज़ गेंदबाज़ उठाते हैं और टीमों के अचानक ढहने की घटनाएँ भी देखने को मिलती हैं.
डे-नाइट टेस्ट में पिंक बॉल का इस्तेमाल वैज्ञानिक और तकनीकी दोनों दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. डे-नाइट टेस्ट और पिंक बॉल ने मिलकर क्रिकेट जगत में टेस्ट प्रारूप को एक नया जीवन दिया है. यह प्रयोग दर्शकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ खिलाड़ियों के प्रदर्शन में भी नई चुनौतियाँ लेकर आता है. यही कारण है कि आज पिंक-बॉल टेस्ट को क्रिकेट के सबसे रोमांचक अनुभवों में गिना जाता है.













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