Sardar Vallabhbhai’s 150th Jayanti 2025: सरदार वल्लभभाई झावेरभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को खेड़ा जिले (गुजरात) के नाडियाड गांव में हुआ था. इस दिवस को सरदार पटेल जयंती के रूप में मनाई जाती है. सरदार पटेल ने खेड़ा, बोरसाद, और बारडोली में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध ‘अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन’ को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, देखते-देखते वह गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में विख्यात हो गये. 1931 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 49वां अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. स्वतंत्र भारत के लगभग 562 रियासतों को राष्ट्रीय एकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें ‘लौह पुरुष’ की उपाधि दिलाई. स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल देश का पहला उप-प्रधानमंत्री औऱ गृह मंत्री नियुक्त किया गया. विभाजन के पश्चात पाकिस्तान से पंजाब और दिल्ली आये शरणार्थियों के राहत कार्यों के आयोजन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 2014 को भारत सरकार ने सरदार पटेल की जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ नाम से मनाने की घोषणा की. 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में गंभीर हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ. यह भी पढ़ें: Sardar Patel’s 150th Jayanti 2025: सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर उन्हीं के कोट्स भेजकर ‘लौह पुरुष’ को सच्ची श्रद्धांजलि दें!
सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर उनकी स्मृतियों को ताजा करने हेतु यहां उनके कुछ प्रेरक कोट्स दिये गये हैं, जिन्हें अपनों को शेयर कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
* ‘शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. किसी भी महान कार्य को पूरा करने के लिए विश्वास और शक्ति, दोनों आवश्यक हैं.’
* ‘एकता के बिना जनशक्ति तब तक शक्ति नहीं है, जब तक कि उसे उचित रूप से समन्वित और एकजुट न किया जाए, और तब वह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है.’
* ‘भले ही हम हजारों की संपत्ति खो दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें ईश्वर और सत्य में अपना विश्वास बनाए रखते हुए मुस्कुराते और प्रसन्न रहना चाहिए.’
* ‘प्रत्येक नागरिक की यह प्रमुख जिम्मेदारी है कि वह यह महसूस करे कि उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है.’
* ‘सत्याग्रह कमजोर या कायर लोगों के लिए नहीं है.’
* ‘हमें आपसी कलह, ऊंच-नीच का भेद त्यागना होगा, समानता की भावना विकसित करनी होगी और अस्पृश्यता को दूर करना होगा. हमें ब्रिटिश शासन से पहले प्रचलित स्वराज की स्थितियों को पुनर्स्थापित करना होगा. हमें एक ही पिता की संतानों की तरह रहना होगा.’
* ‘एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें प्रेस की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता और सभी प्रकार की स्वतंत्रताएं प्राप्त होनी चाहिए.’
* ‘साझा प्रयास से हम देश को एक नई महानता की ओर ले जा सकते हैं, जबकि एकता का अभाव हमें नई विपत्तियों के सामने ला खड़ा करेगा.’
* ‘हमारा युद्ध अहिंसक है, यह धर्मयुद्ध है.’
* ‘अहिंसा का पालन मन, वचन और कर्म से करना होगा. हमारी अहिंसा का मापदंड ही हमारी सफलता का मापदंड होगा.’













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