US Tariff Impact India: अमेरिका के भारी टैरिफ के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पर मामूली असर, RBI गवर्नर बोले- यह हमारे लिए मौका है
Reserve Bank of India | File

US Tariff Impact India: अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ को लेकर RBI ने साफ कहा है कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव पड़ा है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू मांग पर आधारित है, इसलिए इन टैरिफ का बड़ा झटका नहीं लगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन सेक्टरों पर असर पड़ा है, उनके लिए सरकार और RBI दोनों राहत पैकेज जारी कर चुके हैं.

ये भी पढें: IndiGo Flight Cancel Issue: फ्लाइट कैंसिल होने से रिसेप्शन पार्टी में नहीं पहुंच पाए नवविवाहित, ऑनलाइन अटेंड किया इवेंट; VIDEO वायरल

टैरिफ को बताया ‘मौका’, नुकसान नहीं

संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह चुनौती नहीं, बल्कि एक मौका है. उनके मुताबिक गलाकट प्रतिस्पर्धा के बीच भारतीय निर्यातक पहले ही अपनी क्षमता बढ़ाने, उत्पादन में सुधार करने और नए बाज़ार खोजने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में भारत इस संकट से और मजबूत होकर निकल सकता है.

अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता फिर शुरू

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत दोबारा शुरू हो चुकी है. हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में वह किसी तरह का समझौता नहीं करेगा. साथ ही ऊर्जा खरीद के मामले में भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखेगा. यही वजह है कि रूस से क्रूड ऑयल आयात पर लगे 25% अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत अपनी नीति पर कायम है.

भारतीय निर्यात में आई गिरावट

टैरिफ बढ़ने का सीधा असर निर्यात आंकड़ों में दिखाई दिया है. मई से अक्टूबर 2025 के बीच अमेरिका के लिए भारत का निर्यात 28.5% गिरा है. यह तेज गिरावट उन भारी शुल्कों के बाद देखने को मिली, जिनमें अमेरिका ने अप्रैल में 10% से शुरुआत की, फिर अगस्त में इसे 25% किया और महीने के अंत तक इसे 50% तक बढ़ा दिया. इससे भारतीय उत्पाद अमेरिका में सबसे अधिक टैक्स देने वालों की श्रेणी में आ गए.

RBI को भरोसा, निर्यात संभल जाएगा

चुनौतियों के बावजूद RBI का मानना है कि निर्यातक तेजी से बदलाव अपना रहे हैं और आने वाले महीनों में स्थिति बेहतर हो सकती है. गवर्नर ने कहा कि भारत की आर्थिक मजबूती और मांग का आधार इतना बड़ा है कि ऐसे झटके ज्यादा लंबे समय तक असर नहीं दिखा पाते.