Sardar Patel’s 150th Jayanti 2025: भारत के ‘लौह पुरुष’ सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नाडियाड (गुजरात) में हुआ था. वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे. पटेल एक सफल वकील होने के नाते, स्वतंत्र भारत की लड़ाई के दौरान सबसे महान और प्रभावशाली नेताओं में एक थे. सरदार गांधी के बहुत बड़े अनुयायी थे. उन्होंने गांधीजी द्वारा शुरू किए ‘सविनय अवज्ञा’ जैसे तमाम आंदोलन’ में तो सक्रिय रूप से भाग लिया ही, साथ ही ब्रिटिश शासन के विरुद्ध किसानों के लिए कई सत्याग्रह आंदोलन भी चलाए. आजादी के समय भारत 565 से रियासतों में बंटा था, उसे सरदार पटेल ने साम-दाम-दंड-भेद से एक सूत्र में बांधकर ‘अखंड भारत’ का निर्माण किया. यही वजह है कि उनकी जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है. इस वर्ष सरदार पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर उन्हीं के द्वारा रचित कोट्स अपनों को भेजकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं. यह भी पढ़ें: Guru Nanak Jayanti 2019: गुरु नानक देव जी ने शुरू की थी लंगर की परंपरा, गुरुद्वारे में कोई भी त्योहार इसके बिना नहीं होता है संपन्न, जानें महत्व
सरदार वल्लभ भाई पटेल के कुछ महत्वपूर्ण कोट्स
राष्ट्रीय एकीकरण पर
* ‘एकता के बिना जनशक्ति में ‘शक्ति’ का अभाव होता है. वह तभी आध्यात्मिक शक्ति बन पाती है, जब वह उचित रूप से सामंजस्य के साथ एकजुट हो.

* ‘प्रत्येक भारतीय को क्षेत्रीय या जातिगत संबद्धता से ऊपर उठकर एक सच्चे भारतीय के रूप में अपनी पहचान को प्राथमिकता देनी चाहिए.

* ‘साझा प्रयास से भारत दुनिया में महानता प्राप्त कर सकता है, जबकि एकता का अभाव विपत्तियों का कारण बनता है.

* ‘जाति और पंथ के भेदों को दरकिनार करते हुए इस बात पर ज़ोर देना चाहिए कि सभी भारत की संतान हैं और उन्हें आपसी प्रेम और सहयोग से अपना भाग्य बनाना चाहिए.

विश्वास, शक्ति और दृढ़ता पर
* ‘शक्ति के बिना विश्वास निष्प्रभावी है, और महान कार्य के लिए दोनों आवश्यक हैं.’

* ‘हानि और त्याग का सामना करते हुए भी प्रसन्नता, ईश्वर और सत्य में विश्वास बनाए रखना चाहिए.

* ‘राष्ट्रवादी ताकतों में शामिल होने और एकजुट रहने के महत्व के सामने अन्य सुख-दुख सभी तुच्छ है.

* ‘सत्याग्रह कमज़ोर या कायर लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है.

कर्तव्य और नेतृत्व पर
* ‘सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने, वीरता का बुद्धिमानी से उपयोग करने, एकजुट रहने और विनम्रता तथा आदर्शों व चुनौतियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए.
* ‘अपने देश की स्वतंत्रता को संजोना और उसकी रक्षा करना प्रत्येक नागरिक की प्राथमिक जिम्मेदारी है.
* ‘भारतीय होने के साथ-साथ अधिकार तो जुड़े हैं, लेकिन कर्तव्य और दायित्व भी को भी देखना चाहिए.
* ‘काम महत्वपूर्ण है, हंसी के महत्व और जीवन के सुख-दुख को समभाव से स्वीकारना चाहिए.
* ‘चरित्र नेतृत्व की नींव है, जो निष्ठा और ईमानदारी से निर्देशित होता है.
प्रगति और सेवा पर
* ‘भारत एक ऐसा उत्पादक राष्ट्र बने, जहां कोई भी भूखा न रहे.
* ‘देशहित के लिए इसके मुख्य कार्य को एक मजबूत और एकीकृत शक्ति के रूप में संगठित होना.’
* ‘उनका मानना था कि सच्ची शिक्षा मानवीय गरिमा और आत्म-सम्मान को बढ़ाती है.’













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