
जीवन में कौन व्यक्ति सफल नहीं होना चाहता?, हालांकि प्रयास सभी करते हैं, लेकिन यह बात सर्वदा सत्य है कि सफलता के लिए कठिन परिश्रम आवश्यक है. बिना परिश्रम के आप एक कदम आगे नहीं बढ़ सकते. चाणक्य ने अपने अनमोल चाणक्य नीति में कठिन परिश्रम का विशेष महत्व बताया है. आचार्य ने चाणक्य नीति से जुड़े कुछ संदर्भों के बारे में उल्लेख किया है कि इंसान के जीवन में परिश्रम, जप-तप, लड़ाई-झगड़ा और भय का विशेष महत्व है. आइये जानते हैं, चाणक्य ने इस श्लोक में ऐसी किन-किन बातों का उल्लेख किया है, जिसे जीवन में धारण करने से सारे अवरोध दूर होते हैं और सफलता कदम चूमती है. यह भी पढ़ें : Mother’s Day 2025 Sanskrit Wishes: मातृ दिवसस्य शुभाशयाः! शेयर करें संस्कृत के प्यार भरे Shlokas, Quotes, WhatsApp Messages और GIF Greetings
उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्।
मौनेन कलहो नास्ति जागृतस्य च न भयम्॥
अर्थात उद्योग यानी मेहनत से से निर्धनता दूर होती है, जो जप-तप करते हैं, वे सारे पापों से मुक्त हो जाते हैं. इसी श्लोक की अगली पंक्ति में चाणक्य ने कहा है कि मौन रहने से तकरार नहीं होता, और अगर कोई जाग रहा है तो उसे डर नहीं लगता.
परिश्रमः आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि व्यक्ति का व्यवहार ही उसे आगे बढ़ने में मदद करता है, लेकिन आगे बढ़ने के लिए कठोर परिश्रम की जरूरत होती है. अगर इंसान आलस्य छोड़कर परिश्रम करता है तो उसकी निर्धनता दूर होती है.
जप-तपः चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को पूजा-पाठ के साथ जप-तप जरूर करना चाहिए. इससे पाप मिटते हैं. इसके पीछे मुख्य आशय यह है कि ईश्वर की पूजा अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि आध्यात्म और ध्यान से मन में बुरे विचार नहीं आते. मन शुद्ध रहता है.
झगड़ा-लड़ाईः यहां चाणक्य ने बताया है कि चूंकि बोले हुए शब्द वापस नहीं लिये जा सकते इसलिए बहुत सोच-विचार करके ही बात करना चाहिए, क्योंकि मौन में ही भलाई है.
भयः अगर किसी बात को लेकर आप भयाक्रांत हैं, तो आपको हर समय सजग रहना पड़ता है, अगर आप सचेत रहते हैं तो आप किसी भी हालात का सामना कर सकते हैं, और आपके रास्ते आसान होते चले जाते हैं. आपकी तरक्की को कोई रोक नहीं सकता.