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India Three New Criminal Laws: देशभर में तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू, जानें क्या-क्या बदल गया?

देशभर में तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू हो जाएंगे, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे. इसके साथ ही औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा.

देश Shivaji Mishra|
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India Three New Criminal Laws: देशभर में तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू, जानें क्या-क्या बदल गया?

देशभर में तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू हो जाएंगे, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे. इसके साथ ही औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा.

देश Shivaji Mishra|
India Three New Criminal Laws: देशभर में तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू, जानें क्या-क्या बदल गया?

India Three New Criminal Laws: देशभर में तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू हो जाएंगे, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे. इसके साथ ही औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे. नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी., जिसमें ‘जीरो एफआईआर (ZERO FIR)’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, मोबाइल फोन पर SMS के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे.

अधिकारियों के मुताबिक, इन कानूनों में कुछ मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया और संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी रूप से निपटने का एक तंत्र मुहैया कराया गया है.

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जानें क्या-क्या बदल गया?

  • नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे.
  • दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी.
  • नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है, राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है.
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है.
  • नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा तथा पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी.
  • 'जीरो एफआईआर' से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो. इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा.
  • नए कानून में गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है. इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा.
  • इसके अलावा गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे.
  • नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा.
  • नए कानूनों में, महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल तुरंत मिले.
  • आरोपी और पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा.
  • अदालतें समय रहते न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के के लिए अधिकतम दो बार मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं.
  • नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है, जिससे कि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जाए और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता व प्रभाव बढ़ाया जाए.

तीन नए आपराधिक कानून को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे, जबकि अंग्रेजों के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गयी थी. इन कानूनों को भारतीयों ने भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है और यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं.

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