
नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला पर निशाना साधते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है और यह सदन की कार्यवाही चलाने का सही तरीका नहीं है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है. मैंने उनसे बोलने देने का अनुरोध किया, लेकिन वह (स्पीकर) बस चले गए. यह सदन चलाने का तरीका नहीं है. स्पीकर ने मुझे बोलने नहीं दिया और फिर सदन को स्थगित कर दिया. इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी."
रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने कहा कि परंपरा के अनुसार विपक्ष के नेता को सदन में अपनी बात रखने का अवसर दिया जाता है. उन्होंने कहा, "जब भी मैं खड़ा होता हूं, मुझे बोलने नहीं दिया जाता. हम जो कहना चाहते हैं, उसकी इजाजत नहीं दी जाती. मैंने कुछ नहीं किया. मैं चुपचाप बैठा था, मैंने एक शब्द भी नहीं कहा. मुझे 7-8 दिनों से बोलने नहीं दिया गया है. यह एक नई रणनीति है. विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं है. उस दिन, प्रधानमंत्री ने कुंभ मेले के बारे में बात की थी, मैं भी कुछ जोड़ना चाहता था, बेरोजगारी पर बात करना चाहता था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई. मुझे नहीं पता कि स्पीकर का दृष्टिकोण क्या है, लेकिन हमें बोलने नहीं दिया जा रहा. यह लोकतांत्रिक तरीका नहीं है."
स्पीकर ओम बिड़ला की प्रतिक्रिया
सदन को स्थगित करने से पहले, स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि सदन के सदस्यों को मर्यादा बनाए रखनी चाहिए. उन्होंने कहा, "मुझे कुछ ऐसी घटनाओं की जानकारी मिली है, जिनमें सदस्यों का आचरण सदन के उच्च मानकों के अनुरूप नहीं रहा है. इस सदन में पिता-पुत्री, माता-पुत्री और पति-पत्नी सदस्य रह चुके हैं. इस संदर्भ में, मैं उम्मीद करता हूं कि विपक्ष के नेता सदन में नियम 349 के अनुसार व्यवहार करें." नियम 349 सदन में सदस्यों के आचरण से संबंधित दिशा-निर्देश निर्धारित करता है.
कुंभ पर बयान और विवाद
यह विवाद तब सामने आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ मेले पर अपने संबोधन के दौरान इसकी भव्यता और भारत की क्षमता को दुनिया के सामने रखने की बात कही थी. पीएम मोदी के बयान के दौरान विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ में मृतकों को लेकर सरकार से सवाल किए.
इस दौरान स्पीकर ओम बिड़ला ने नियम 372 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री या कोई भी मंत्री सदन में बयान दे सकता है, और उस पर सवाल नहीं किए जा सकते.
मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री (मोदी) के बयान का समर्थन करना चाहता था. कुंभ हमारी परंपरा, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है. हमारी बस एक ही शिकायत थी कि प्रधानमंत्री ने कुंभ में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि नहीं दी."
राहुल गांधी का विरोध
राहुल गांधी ने कहा कि युवाओं को कुंभ में रोजगार की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर बात नहीं की. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को इस पर भी बोलना चाहिए था." जब मीडिया ने उनसे पूछा कि उन्हें बोलने क्यों नहीं दिया गया, तो उन्होंने कहा, "लोकतांत्रिक संरचना के अनुसार, विपक्ष के नेता को बोलने का अवसर मिलना चाहिए, लेकिन हमें बोलने नहीं दिया जाता. यही नया भारत है."