Indian Space Station: भारत अब अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है. कभी रॉकेट प्रक्षेपण (Rocket Launch) और उपग्रह अभियानों के लिए जाना जाने वाला अपना देश अब खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर एक बार फिर इसकी औपचारिक घोषणा की. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत केवल चंद्रमा और मंगल तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहकर अनुसंधान करने की क्षमता भी हासिल कर लेगा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना का नाम 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)' रखा गया है.
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हकीकत बनेगा भारत का अपना स्पेस स्टेशन
Our Government has ushered in various reforms in the space sector, which have encouraged youngsters, private sector and Startups to explore new frontiers and contribute meaningfully to India’s space journey.#NationalSpaceDay https://t.co/rFnkl6Qtex
— Narendra Modi (@narendramodi) August 23, 2025
2028 तक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा पहला मॉड्यूल
योजना के अनुसार, इसका पहला मॉड्यूल 2028 तक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसके बाद धीरे-धीरे कुल पांच मॉड्यूल जोड़े जाएंगे और वर्ष 2035 तक पूरा स्टेशन (Indian Space Station) बनकर तैयार हो जाएगा. मतलब साफ है, अगले एक दशक में भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन है. अभी तक यह उपलब्धि केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास ही है.
अंतरिक्ष में भारत भी कर सकेगा वैज्ञानिक प्रयोग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण न केवल प्रतिष्ठा का विषय होगा, बल्कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और भावी पीढ़ियों के लिए अवसरों के द्वार भी खोलेगा. इस स्टेशन के माध्यम से भारत लंबे समय तक अंतरिक्ष में प्रयोग कर सकेगा, नई तकनीकों का परीक्षण कर सकेगा और दुनिया के साथ सहयोगी परियोजनाओं पर काम कर सकेगा.
अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में मिली है सफलता
हाल ही में, इसरो ने 'अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक (Space Docking Technology)' का भी सफल परीक्षण किया है. यह स्पैडेक्स मिशन (Spadex Mission) के तहत किया गया, जहां दो उपग्रहों को कक्षा में जुड़ते हुए दिखाया गया. यह तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रक्रिया का उपयोग अंतरिक्ष स्टेशन में नए मॉड्यूल जोड़ने और भविष्य के विस्तार के लिए किया जाता है. यह सफलता भारत की तैयारी को और मजबूत करती है. सरकार ने इस परियोजना को हरी झंडी दे दी है और इसके लिए एक विशेष बजट भी जारी किया गया है.
स्टार्टअप्स के लिए भी फायदेमंद होगा स्पेश स्टेशन
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आने वाले दशकों में भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में आत्मनिर्भर (Aatmnirbhar Bharat) बनाएगा. केवल अनुसंधान ही नहीं, यह स्टेशन अंतरिक्ष पर्यटन, निजी मिशनों और स्टार्टअप्स के लिए भी नए अवसर पैदा करेगा. भारत में उभरती निजी अंतरिक्ष कंपनियां इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करके नई तकनीकों का परीक्षण कर सकेंगी.
मानव को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी पूरी
भारत ने गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के माध्यम से मानव को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी पहले ही कर ली है. इसके बाद, जब भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बन जाएगा, तो देश लंबे समय तक मानव को अंतरिक्ष में रख सकेगा और शोध कर सकेगा.













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