मुंबई, 15 अगस्त: महाराष्ट्र की महायुती सरकार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तनाव की खबरें आ रही हैं. सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बीच अनबन की खबरों से सियासत का माहौल गर्माया हुआ है. शिंदे सरकार के सामने एक बार फिर वही स्थिति है जो उस समय थी जब वे महाविकास अघाड़ी की सरकार का हिस्सा था. जून 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना से नाता तोड़ने का फैसला किया और उनके साथ कई विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी.
उस समय शिंदे गुट ने आरोप लगाया था कि महाविकास आघाड़ी सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेतृत्व में उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) की भूमिका के कारण उनके क्षेत्रों में परियोजनाएं रुकी हुई थीं, जिससे शिवसेना के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था.
इसके बाद अजीत पवार भी कुछ समय बाद एनसीपी से अलग हो गए. पवार ने भी अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी और शिंदे की शिवसेना का साथ दिया. लेकिन अब शिंदे गुट के नेताओं को इसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. शिंदे शिवसेना एक बार फिर अजित पवार के साथ खड़ी है और अजित उनकी रास्तो में फिर रोड़ा लगा रहे हैं.
उपमुख्यमंत्री अजित पवार का फाइल पास करने से इंकार
मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान, शहरी विकास विभाग से एक फाइल, जो कि मुख्यमंत्री के अधीन है, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के सामने अप्रूवल के लिए लाई गई. पवार ने उस फाइल को यह कहकर पास करने से इंकार कर दिया कि उन्होंने इसे अभी तक नहीं देखा है. वहीं मुख्यमंत्री शिंदे ने तर्क दिया कि उन्होंने अजित पवार द्वारा भेजी गई फाइलों पर बिना देखे हस्ताक्षर किए थे.
हालांकि, पवार ने स्पष्ट कर दिया कि वह बिना फाइलें देखे हस्ताक्षर नहीं करेंगे. इस पर सीएम शिंदे ने कहा कि वह भी पवार के कार्यालय से भेजी गई फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. कैबिनेट में यह बातचीत सभी को हैरान कर गई. इसके बाद शिंदे के एक मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने कहा कि उनके विभाग द्वारा जमा की गई कई फाइलें पवार के कार्यालय में अटकी हुई हैं.
शिंदे और पवार गुट में फाइलों पर अनबन
खबरों के मुताबिक, एनसीपी के मंत्रियों की फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय में अटकी हुई हैं. कुछ फाइलें तो मुख्यमंत्री कार्यालय में छह महीने से ज्यादा समय से अटकी हुई हैं. एनसीपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनकी पार्टी के मंत्रियों द्वारा भेजी गई कई फाइलों को मुख्यमंत्री ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है, जिससे अजीत पवार समर्थकों में असहजता बढ़ रही है.
यह स्थिति महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है, जहां सत्ता के भीतर के संघर्ष अब सतह पर आ गए हैं. देखना होगा कि इस राजनीतिक तनाव का भविष्य में क्या असर होगा.