Monsoon 2024 Updates: सरकारी मौसम कार्यालय (Weather Office) ने बुधवार को कहा कि भारत का मानसून (India's Monsoon) 31 मई को दक्षिण-पश्चिम में केरल (Kerala) तट पर पहुंचने का अनुमान है, जिससे पिछले साल औसत से कम बारिश के बाद किसानों को राहत मिलेगी. देश की करीब 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की जीवनधारा मानसून पर निर्भर है. भारत में खेतों, जलाशयों और जलभृतों के लिए 70 फीसदी पानी की आपूर्ति बारिश से होती है. भारत की लगभग आधी कृषि भूमि, बिना किसी सिंचाई सुविधा के कई फसलों को उगाने के लिए वार्षिक जून-सितंबर की बारिश पर निर्भर करती है.
गर्मियों की बारिश आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल राज्य में शुरू होती है और जुलाई के मध्य तक पूरे देश में फैल जाती है, जिससे चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन और गन्ना जैसी फसलों की बुआई शुरू हो जाती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि केरल में मानसून की शुरुआत 31 मई को होने की संभावना है. पिछले साल, मानसून की बारिश 8 जून को केरल के तट पर पहुंची थी, जो चार वर्षों में नवीनतम आगमन था.
कमजोर शुरुआत के बाद साल 2023 में समग्र मानसून बारिश औसत से 6 फीसदी कम थी, जो साल 2018 के बाद से सबसे कम है, क्योंकि एल नीनो मौसम पैटर्न ने एक सदी से भी अधिक समय में सबसे शुष्क अगस्त दिया. यह भी पढ़ें: Monsoon 2024 Date: जल्द दस्तक देगा मानसून! केरल में 31 मई से होगी झमाझम बारिश, यहां जानें हर राज्य के मौसम का हाल
एल नीनो प्रशांत जल का गर्म होना है, जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में शुष्क परिस्थितियों के साथ आता है. जैसा कि अल नीनो ने ला नीना का मार्ग प्रशस्त किया है, जो प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से ठंडे तापमान की विशेषता है, भारत के मौसम कार्यालय ने दीर्घकालिक औसत की 106 फीसदी वर्षा का अनुमान लगाया है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग चार महीने के मौसम के लिए 50 साल के औसत 87 सेमी (35 इंच) के 96 फीसदी और 104 फीसदी के बीच औसत वर्षा को परिभाषित करता है. भरपूर मानसूनी बारिश से किसानों को भरपूर फसल लेने में मदद मिल सकती है और सरकार को चावल निर्यात पर अंकुश लगाने पर विचार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जिसमें पिछले साल व्यापक रूप से खपत होनेवाले गैर-बासमती सफेद चावल और 2022 से टूटे हुए चावल भी शामिल हैं.