मुंबई: पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने अतीत की यादों को ताजा करते हुए शनिवार को यहां कहा कि स्पिनरों की मददगार पिच पर अरशद अयूब और वेंकटपति राजू जैसे काबिल गेंदबाजों के खिलाफ तेंदुलकर की बल्लेबाजी को देखकर वह उनके उज्ज्वल भविष्य को लेकर आश्वस्त हो गये थे. Test Cricket: टेस्ट क्रिकेट में ये 3 भारतीय बल्लेबाज बना सकते हैं 400 रन, यहां देखें दिलचस्प आंकड़ें
भारत और मुंबई के लिए तेंदुलकर के साथ खेलने वाले वेंगसरकर ने हैदराबाद के खिलाफ अपने जूनियर साथी के साथ की गई लंबी साझेदारी को याद करते हुए कहा, ‘‘मुझे याद है, हम हैदराबाद के खिलाफ स्पिनरों की मददगार पिच पर खेल रहे थे. अरशद अयूब और वेंकटपति राजू गेंदबाजी कर रहे थे. वे बहुत अच्छे गेंदबाज थे. उनके खिलाफ मेरी और सचिन की साझेदारी लंबी रही थी.’’
वेंगसरकर ने ‘फैब फाइव द पांडवाज ऑफ इंडियाज बैटिंग’ पुस्तक के विमोचन के दौरान कहा कि इस साझेदारी ने उन्हें तेंदुलकर के भविष्य की झलक दिखा दी थी. उन्होंने कहा, ‘‘वह स्पिनरों की मददगार पिच पर बहुत अच्छा खेल रहा था. मैं समझ गया था कि वह पूरी दुनिया में अच्छा करेगा और वही हुआ.’’
वेंगसरकर ने इस मौके पर मुंबई और हरियाणा के बीच 1991 में खेले गए रणजी ट्रॉफी के यादगार फाइनल मैच को याद किया. कपिल देव की अगुवाई वाली हरियाणा ने इस मैच में मुंबई को दो रन से हराया था.
वेंगसरकर ने कहा, ‘‘हरियाणा के खिलाफ हमने 1991 में रणजी ट्रॉफी फाइनल खेला था. जीत के लिए 355 रन का पीछा करते हुए हमने 22 (वास्तविक स्कोर 34 रन) रन पर तीन विकेट गंवा दिए थे. उस पारी में उन्होंने जिस तरह से बल्लेबाजी की वह शानदार थी. अगर वह कुछ ओवर और रुकते तो हम मैच जीत सकते थे.’’ इस मैच में वेंगसरकर ने 139 जबकि तेंदुलकर ने 96 रन का योगदान दिया था.
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