KedarNath Tragedy: उत्तराखंड के केदारनाथ में 2013 में आई बाढ़ त्रासदी में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई और कई लोग लापता हो गए. लापता हुए लोगों में रुड़की निवासी शिवम भी थे. शिवम के लापता होने के बाद पूरा परिवार उन्हें मृत मानकर प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार कर चुका था. लेकिन 12 साल बाद महाराष्ट्र से खबर आई कि वे जिंदा हैं. शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को 55 वर्षीय शिवम अपने भाई से मिलकर रुड़की स्थित घर लौटे.
2013 की बाढ़ में गुम हुआ था शिवम
जून 2013 में आई केदारनाथ आपदा में हजारों लोग मारे गए और सैकड़ों लोग लापता हो गए. शिवम तीर्थयात्रा पर गए थे और वापस नहीं लौटे. कई दिनों तक खोजबीन के बाद परिवार ने हार मान ली और उन्हें मृत मानकर अंतिम संस्कार कर दिया. सरकारी सूची में भी उनका नाम मृतकों में दर्ज हो गया. यह भी पढ़े: Kedarnath Temple: केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद कहां विराजमान होते हैं बाबा केदार? 6 महीने तक इस खास स्थल पर होती है पूजा
ऐएस मिला सुराग
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शिवम कई सालों से महाराष्ट्र के संभाजीनगर (औरंगाबाद) स्थित एक मंदिर में रह रहे थे. 2021 में उस मंदिर में चोरी की वारदात हुई.पुलिस ने कुछ चोरों को पकड़ने के बाद बेवजह शिवम का नाम भी मामले में जोड़ दिया.
कोर्ट में पेशी के दौरान जज ने शिवम की मानसिक स्थिति को देखते हुए उन्हें “डिसऑर्गेनाइज्ड सिज़ोफ्रेनिया” का मरीज मानते हुए पुणे के रीजनल मेंटल हॉस्पिटल (RMH) में भर्ती करने का आदेश दिया। बाद में अदालत ने स्पष्ट किया कि चोरी मामले में शिवम का कोई लेना-देना नहीं है.
स्कूल का नाम बना अहम सुराग
RMH की समाजसेवा अधीक्षक रोहिणी भोसले बताती हैं कि शिवम पहाड़ी बोली बोलते थे और पोलियो की वजह से चलने-फिरने में कठिनाई थी.लंबे समय तक उनकी पहचान पता नहीं चल पाई।
2023 में अचानक शिवम ने अपने स्कूल का नाम लिया – “प्रेम विद्यालय, रुड़की”। यही एकमात्र ठोस जानकारी थी। भोसले ने तुरंत रुड़की पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने परिवार का पता लगाया और डीएनए टेस्ट के बाद शिवम की पहचान पक्की हुई
मानसिक बीमारी ने छीनी यादें
डॉक्टरों के मुताबिक, शिवम “डिसऑर्गेनाइज्ड सिज़ोफ्रेनिया” से पीड़ित हैं। इस बीमारी में व्यक्ति की सोचने, बोलने और रोजमर्रा के काम करने की क्षमता पूरी तरह अव्यवस्थित हो जाती है. शिवम को याद नहीं कि बाढ़ के बाद वे केदारनाथ से महाराष्ट्र कैसे पहुंचे.
12 साल बाद परिवार से भावुक मुलाकात
लंबी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया के बाद, आखिरकार 5 दिसंबर 2025 को शिवम को डिस्चार्ज मिला। वे अपने भाई के साथ रुड़की लौटे. परिवार भावुक तो था, लेकिन हैरान भी कि 12 साल तक उनका बेटा/भाई सैकड़ों किलोमीटर दूर जिंदा था और किसी को इसकी खबर नहीं हुई.













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