World Tsunami Awareness Day 2025: कब है विश्व सुनामी जागरूकता दिवस? जानें इसका महत्व, इतिहास एवं दिल दहलाने वाले वे सुनामी और सबक!

   प्रत्येक वर्ष 5 नवंबर को सुनामी जागरूकता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों में सुनामी के संभावित खतरों, उससे बचाव औऱ तैयारी के उपायों के प्रति जागरूकता फैलाना है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) ने 22 दिसम्बर 2015 को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाने की आधिकारिक घोषणा की थी. इस दिवस को मनाने की प्रेरणा दुनिया को जापान से मिलीजहां सुनामी से निपटने की परंपरा और ज्ञान अन्य देशों की तुलना में ज्यादा विकसित है. यह दिवस इस बात की स्मृति कराता है कि सुनामी के विनाशकारी प्रभावों को कम करने हेतु प्रभावी पूर्व चेतावनी, प्रणालियों और सामुदायिक शिक्षा की आवश्यकता है. आइये जानें, इस दिवस के महत्व, इतिहास एवं उससे जुड़े कुछ रोचक घटनाओं के बारे में..

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस का महत्व एवं इतिहास

  यह दिवस जापान में इनामुरा-नो-ही (Inamura-no-hi) की स्मृति में मनाया जाता हैजो 5 नवंबर1854 को हुआ था. इस दिन जापानी किसान हामागुची गोरियो ने भूकंप के बाद सुनामी आने की घोषणा की थी. उन्होंने अपने गांव वालों को आगामी विनाश के बारे में विश्वास दिलाने के लिए खलिहान में रखे अपने धान के ढेर जला दिए थे. ताकि लोग अपनी सुरक्षा के लिए ऊंचे स्थानों की ओर भागें. यह दिवस सुनामी से जुड़े जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाने पर केंद्रित है. यह दर्शाता है कि 70 करोड़ से ज़्यादा लोग सुनामी-प्रभावित तटीय क्षेत्रों में रहते हैं. यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी केंद्रित है, जिससे वैश्विक स्तर पर सुनामी की तैयारियों को बढ़ावा मिलेगा. यह भी पढ़ें : Vaikuntha Chaturdashi 2025 Messages: बैकुंठ चतुर्दशी के इन हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings, Quotes के जरिए दें शुभकामनाएं

ऐतिहासिक घटनाएं

निम्न घटनाएं दर्शाती हैं कि सुनामी जागरूकता और तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है.

1854 नानकाई सुनामीजापान

  5 नवंबर1854 कोजापान के कीई द्वीप में 8.4 तीव्रता का एक विशाल भूकंप आयाजिसके साथ एक विनाशकारी सुनामी भी आई. स्थानीय बुजुर्ग गोर्या हामागुची ने ग्रामीणों को पहाड़ियों पर ले जाने और आने वाली सुनामी के खतरे से दूर करने के लिए चावल के गट्ठरों में आग लगा दी. कई लोगों की जान बच गईऔर उनकी बहादुरी जापानी लोककथाओं का हिस्सा बन गई. आजइस आयोजन को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में सम्मानित किया जा रहा हैजो सभी को सुनामी से निपटने में कार्रवाई की आवश्यकता की याद दिलाता है.

2004 हिंद महासागर सुनामी

  मानव इतिहास की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक26 दिसंबर2004 को आई बॉक्सिंग डे सुनामी ने 14 देशों के 2 लाख 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान ले ली थी. यह सुनामी इंडोनेशिया के सुमात्रा तट से 87 मील दूर एक विशाल समुद्री भूकंप से उत्पन्न हुई थीजिसने वैश्विक सुनामी चेतावनी प्रणालियों की गंभीर कमियों को उजागर किया था.

चिली (1960) की सुनामी

  यह सुनामी 22 मई1960 को चिली के वाल्डिविया में आए 9.5 तीव्रता के सबसे बड़े भूकंप के कारण आई थीऔर यह हवाई और जापान तक के तटीय क्षेत्रों तक फैल गई थी. इसकी लहरों ने 10 हजार किमी से ज्यादा की दूरी तय की और विनाशकारी क्षति पहुँचाई और 2 हजार से ज़्यादा लोगों की जान गई. इस आपदा के कारण यूनेस्को के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (IOC) ने पहली प्रशांत सुनामी चेतावनी प्रणाली स्थापित कीजिससे सुनामी की तैयारियों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता का संकेत मिलता है.

एक सबक

पूर्व चेतावनी प्रणाली: एक प्रभावशाली चेतावनी पद्धति लोगों की जान बचा सकती है. यह प्रणाली जोखिम ग्रस्त आबादी को चेतावनी संदेश देगी.

सुनामी के बारे में अभियान: लोगों को सूचित किया जाना चाहिए कि सुनामी खतरनाक होती है. यह केवल सूचना अभियानों के माध्यम से ही संभव है. सुनामी से बचाव की योजनाओं से समुदाय को अवगत कराया जाना चाहिए.

वैश्विक स्तर पर समन्वय: कभी-कभीसुनामी एक साथ एक से अधिक देशों को प्रभावित करती है. इसलिएसंसाधनों को जुटाने में सूचना और सामग्री सहायता का समन्वय और साझाकरणलोगों की जान बचाना और सुनामी के लिए बेहतर तैयारी में मदद करेगा.