Second Eclipse of the Year 2025: कब लग रहा है साल का दूसरा सूर्य एवं चंद्र ग्रहण? जानें ये ग्रहण भारत में दिखेंगे या नहीं और ग्रहण की स्थिति में क्या मान्य होंगी सूतक काल की मान्यताएं!
सूर्य ग्रहण 2025 (Photo Credits: Pixabay)

   इस वर्ष 2025 में कुल चार ग्रहण लगने वाले हैं. पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च और पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लग चुका है, ये दोनों ही ग्रहण भारत में अप्रभावी थे. अब अगला सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को अमावस्या के दिन लगेगा.  ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि साल का यह दूसरा सूर्य ग्रहण क्या भारत में दिखेगा? अगर हां तो क्या सूतक काल के नियम मान्य होंगे. भारत के अलावा और किन-किन देशों में सूर्य ग्रहण का नजारा देखा जा सकेगा? क्या हैं सूतक काल के नियम? आइये जानें इस संदर्भ में क्या कहते हैं खगोल शास्त्री?

अगला (2025) सूर्य ग्रहण कब लगेगा?

खगोल शास्त्रियों के अनुसार साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025, रविवार, अमावस्या के दिन लग रहा है.   यह भी पढ़ें : Kamada Ekadashi 2025 Wishes: कामदा एकादशी पर ये WhatsApp Stickers और HD Wallpapers भेजकर दें बधाई2

सूर्य ग्रहण का समयः 11.00 PM (21 सितंबर 2025) से 03.24  AM तक रहेगा

यानी सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 24 मिनट रहेगी.

क्या दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा?

भारतीय समय के अनुसार साल का यह दूसरा सूर्य ग्रहण चूंकि मध्य रात्रि में लग रहा है, इसलिए यह ग्रहण भारत में कहीं भी नजर नहीं आएगा. अलबत्ता यह सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलियाअंटार्कटिकाप्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा.

अगला (2025) चंद्र ग्रहण कब लग रहा है?

इस वर्ष का दूसरा चंद्रग्रहण 07 सितंबर 2025 को लग रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह तिथि भाद्रपद पूर्णिमा की होगी. भारतीय समय अनुसार निम्न समय पर चंद्र ग्रहण लगेगा.

चंद्र ग्रहण कालः 09.57 PM (07 सितंबर 2025) से 12.23 PM (08 सितंबर 2025)

क्या भारत में दिखेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण?

साल का यह दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा, और भारत में चंद्र ग्रहण प्रभावित होने के कारण सूतक काल भी मान्य होगा. भारत के अलावा यह चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलियायूरोपन्यूजीलैंडअमेरिका और अफ्रीका में भी देखा जा सकेगा.

चंद्र ग्रहण की कुल अवधि

यानी चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 23 मिनट रहेगी.

क्या है सूतक काल?

 ज्योतिष शास्त्र के अनुसारग्रहण काल (सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण) में किसी विशेष घटना (जैसे जन्म या मृत्यु) के बाद लगने वाला एक अशुभ समय होता हैजिसमें कुछ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है. गौरतलब है कि ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण काल से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. ग्रहण के खत्म होने पर मंदिर एवं मंदिर में रखी प्रतिमाओं पर गंगाजल छिड़कने के बाद उसे शुद्ध करना चाहिए.   

सूतक काल पर क्या करें?

चंद्र ग्रहण के दौरान भारत में सूतक काल जारी रहेगा, इसलिए हिंदू धर्म के अनुसार सूतक काल के नियमों का पालन करना आवश्यक होगा.

* सूतक काल के दौरान शांति मन से भगवान का ध्यान कर ॐ बृं बृहस्पतये नम:’ का जाप करना चाहिए.

ग्रहण काल में बिना मंदिर अथवा भगवान की प्रतिमा को स्पर्श किये धार्मिक ग्रंथों (सुंदरकांड, रामचरितमानस, भागवद् गीता) आदि का पाठ करना चाहिए.

* ग्रहण लगने से पूर्व मंदिर को चादर अथवा किसी स्वच्छ कपड़े से ढक दें.

* सूतक काल में नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

* ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए, ना ही चंद्रमा को देखने की कोशिश करनी चाहिए.

सूतक काल में ना चूल्हा जलाना चाहिए, ना ही खाना बनाना चाहिए.

* ग्रहण लगने से पूर्व खाने-पीने की हर वस्तु में तुलसी का पत्ता अवश्य डालकर रखना चाहिए.