COVID-19 से ज्यादा जानलेवा है एयर पॉल्यूशन! साल 2024 में गई 8.1 मिलियन लोगों की जान, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
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दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर धुंध की मोटी चादर छा गई है. इसी बीच AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने चेतावनी दी है कि एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) एक साइलेंट किलर है, जो COVID-19 से भी ज्यादा मौतों की वजह बन रहा है. डॉ. गुलेरिया के अनुसार, हवा में मौजूद PM2.5 और अल्ट्रा-फाइन पार्टिकल्स (0.1 माइक्रॉन से छोटे कण) सीधे रक्त में चले जाते हैं और दिल की धमनियों में सूजन व संकुचन पैदा करते हैं. यह दिल का दौरा (Heart Attack), स्ट्रोक, दिमागी बीमारियां जैसे डिमेंशिया, कैंसर जैसे गंभीर खतरे पैदा करते हैं. उन्होंने कहा, "भारत की हवा का असर रोज 8-10 सिगरेट पीने जैसा है"

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कोविड-19 से ज्यादा मौतें प्रदूषण से

वैश्विक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024 में जहां कोविड-19 से लगभग 7 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, वहीं एयर पॉल्यूशन के कारण 8.1 मिलियन से अधिक लोगों की जान चली गई. यही कारण है कि डॉ. रणदीप गुलेरिया ने प्रदूषण को एक ‘चुपचाप मारने वाली महामारी’ बताया है.

उन्होंने कहा कि बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि बच्चे खेलने के दौरान अधिक हवा अपने फेफड़ों में लेते हैं जिससे उनकी फेफड़ों की ग्रोथ प्रभावित होती है, वहीं बुजुर्गों में दिल और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है. इसीलिए बच्चों को सुबह जल्दी या रात के समय भारी खेलकूद से बचाने की सलाह दी गई है.

N95 मास्क से मदद मिलेगी, लेकिन...

डॉ. गुलेरिया के अनुसार सही तरह से पहना गया N95 मास्क काफी हद तक सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन यह केवल अस्थायी उपाय है. असली लड़ाई तो प्रदूषण के स्रोत पर नियंत्रण करके ही जीती जा सकती है. उन्होंने चेताया कि एयर प्यूरीफायर पर अधिक निर्भरता सही नहीं, क्योंकि खुले घरों में बाहर की हवा लगातार अंदर आती रहती है.

क्लाउड सीडिंग असरदार उपाय नहीं

क्लाउड सीडिंग जैसे तात्कालिक उपाय भी मौसम पर निर्भर होते हैं और सिर्फ कुछ समय के लिए राहत देते हैं, इसलिए लंबी अवधि के टिकाऊ समाधान सबसे जरूरी हैं. उन्होंने बताया कि लंदन, लॉस एंजेलिस और बीजिंग जैसे शहरों ने कड़े कानून और उनके सख्त पालन से प्रदूषण को काबू में किया है, इसलिए भारत भी ऐसा कर सकता है यदि सरकार और जनता मिलकर प्रयास करें.

क्या है उपाय?

सरकार को प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों और वाहनों पर नियंत्रण, त्वरित कार्रवाई और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए, वहीं जनता को कम से कम निजी वाहन का उपयोग करना, कारपूल व पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाना, कचरा न जलाना और घरों के आसपास अधिक पौधे लगाकर योगदान देना चाहिए.

डॉ. गुलेरिया ने स्पष्ट संदेश दिया कि प्रदूषण एक साइलेंट किलर है और अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडराता रहेगा.