Bhagwan Vishnu & Chaturmas 2025: भगवान विष्णु चतुर्मास में ही क्यों करते हैं विश्राम? जानें इसका महत्व एवं कब से कब तक रहेगा चातुर्मास!
भगवान विष्णु (Photo Credits: File Image)

Bhagwan Vishnu & Chaturmas 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के योग निद्रा में जाने के साथ ही चातुर्मास (Chaturmas) प्रारंभ हो जाएगा. चार मास तक चलने वाला चातुर्मास कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को समाप्त होगा. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस अवधि तक के लिए भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का दायित्व भगवान शिव को सौंप कर गहन विश्राम के लिए प्रस्थान कर जाते हैं. चूंकि सृष्टि की रचना में त्रिदेव (ब्रह्मा विष्णु महेश) का संयुक्त दायित्व है, ऐसे में प्रश्न उठता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए पाताल लोक जाकर गहन योग निद्रा में क्यों चले जाते हैं. आइये जानते हैं इसके पीछे क्या वजह हो सकती है, साथ ही जानेंगे चातुर्मास का क्या महत्व है. यह भी पढ़ें: Yogini Ekadashi 2025: आषाढ एकादशी को ‘योगिनी एकादशी’ क्यों कहते हैं? जाने व्रत की मूल तिथि, मुहूर्त एवं पूजा विधि इत्यादि!

चातुर्मास का महत्व

चातुर्मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह समय तप साधना और आत्म-चिंतन के लिए एक उत्कृष्ट समय माना जाता है. इस दौरान, भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है. कई धार्मिक त्यौहार एवं तीर्थ यात्रा को विशेष महत्व दिया जाता है. इस दरमियान हरियाली तीज, नाग पंचमी, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, राधाष्टमी, पितृ पक्ष, नवरात्रि, दशहरा और करवा चौथ का व्रत पूजा आदि किये जाते हैं. चातुर्मास काल में अहिंसा का पालन, सात्विक भोजन, व्रत और ध्यान एवं साधना करने का बड़ा ही महात्म्य है.

भगवान विष्णु चातुर्मास में क्यों करते हैं विश्राम

विष्णु पुराण के अनुसार राजा बलि एक शक्तिशाली और उदार राक्षस राजा थे, जिन्होंने अपने तपोबल से पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल पर विजय प्राप्त कर लिया था. इससे चिंतित होकर भगवान इंद्र एवं देवता विष्णुजी के बैकुंठ धाम पहुंचे. ब्रह्मांडीय संतुलन हेतु वामन अवतार लेकर वह बलि के पास पहुंचे. बलि ने वामन से पूछा, आपको क्या चाहिए, वामन देव ने तीन पग भूमि मांगी. बलि ने कहा, आप तीन पग भूमि ले लें. वामन देव ने एक पग में पृथ्वी, दूसरे में स्वर्ग नापने के बाद बलि से पूछा, तीसरा पग कहां रखूं. बलि समझ गये कि ये सामान्य वामन नहीं हैं, उन्होंने सिर झुकाते हुए कहा, तीसरा पग मेरे सर पर रख दें. बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर वामन का रुप धारण करने वाले श्रीहरि ने उन्हें पाताल लोक सौंप दिया और एक वरदान मांगने को कहा.

ऐसे में राजा बलि ने उन्हें अपने साथ पाताल लोक में रहने को कहा और विष्णुजी हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तक उनके साथ रहने को तैयार हो गये. इस निर्णय से लक्ष्मी जी समेत सभी देवतागण चिंतित हो गये. विष्णुजी को वापस लाने के लिए देवी लक्ष्मी सामान्य महिला के वेश में बलि से मिलीं और उन्हें राखी बांधकर भाई बनाया. बलि ने प्रसन्न होकर कहा, बहन आप कोई भी वरदान मांग लें. लक्ष्मी जी ने विष्णुजी को छोड़ने को कहा. बलि सहमत हो गए, इस शर्त पर कि विष्णुजी चार महीने उनके पास रहेंगे. इस दौरान वे योग निद्रा में रहते हैं.