नई दिल्ली: आज आधार कार्ड (Aadhaar Card) अब हमारे जीवन का एक बहुत जरुरी चीज बन गया है. चाहे सरकारी योजनाओं का लाभ लेना हो, बैंक खाता खोलना हो, पैन कार्ड (PAN Card) या प्रोपर्टी रजिस्ट्रेशन कराना हो, हर जगह आधार लगभग एक अनिवार्य दस्तावेज बन गया है. यहां तक की आधार की जरुरत शैक्षणिक संस्थानों में भी पड़ती है. हालांकि कहीं भी दस्तावेज के तौर पर आधार कार्ड पेश करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह सबसे सुलभ दस्तावेज माना जाता है.
आधार संख्या प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करने के उपरांत यूआईडीएई (UIDAI) द्वारा भारत के सभी निवासियों को जारी की जाने वाली 12 अंकों की एक रैंडम संख्या है. किसी भी आयु का कोई भी व्यक्ति जो भारत का निवासी है, बिना किसी लिंग भेद के आधार संख्या प्राप्ति हेतु स्वेच्छा से नामांकन करवा सकता है. नामांकन के इच्छुक व्यक्ति को नामांकन प्रक्रिया के दौरान कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. गूगल पे की पहुंच में नहीं है आधार डेटाबेस, गूगल ने हाईकोर्ट को बताया
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुताबिक, एक नवजात बच्चे का भी आधार कार्ड बनवाया जा सकता है. हालांकि एक महत्वपूर्ण बात जो हर माता-पिता या कानूनी अभिभावक को ध्यान में रखनी चाहिए, वह यह है कि अगर आपका बच्चा 5 साल और 15 साल की उम्र का हो गया हो तो आधार में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करवना जरुरी होता है. जिसमें बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेशन कहा जाता है और यह अनिवार्य है. बायोमेट्रिक अपडेशन बच्चों के लिए फ्री होता है.
प्रारंभिक नामांकन के समय उम्र 5 वर्ष से कम होने पर: बच्चों की उम्र 5 साल हो जाने पर उनका पुन: नामांकन किया जाना चाहिए और इस हेतु सभी बायोमेट्रिक डेटा प्रदान करने की आवश्यकता है. इस स्तर पर बच्चे के लिए एक डी-डुप्लीकेशन किया जाएगा. इस अनुरोध को एक नए नामांकन अनुरोध के समान माना जाएगा जबकि मूल आधार नंबर को बनाए रखा जाएगा.
नामांकन के समय 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए: आयु 15 वर्ष की हो जाने पर अपडेट के लिए सभी बॉयोमीट्रिक्स प्रस्तुत करने की जरूरत है.
नामांकन के समय उम्र > 15 वर्ष: प्रत्येक 10 वर्ष में बच्चो के बायोमेट्रिक डेटा को अपडेट करने की सलाह दी जाती है. दरअसल जब बच्चा किशोरावस्था में प्रवेश करता है तो उसके बायोमेट्रिक पैरामीटर बदल जाते है.
उल्लेखनीय है कि किसी भी व्यक्ति को आधार हेतु नामांकन केवल एक बार करना होता है और डी-डुप्लिकेशन प्रणाली के जरिए विशिष्टता प्राप्त की जाती है, डी-डुप्लिकेशन के बाद केवल एक आधार ही बनाया जाता है. हर आधार में व्यक्ति का नाम, जन्मतिथि (सत्यापित) अथवा आयु (घोषित), लिंग, पता, मोबाइल नंबर (अनिवार्य नहीं) और ईमेल आईडी (अनिवार्य नहीं) होती है. जबकि बॉयोमीट्रिक सूचना में व्यक्ति के दस उंगलियों के निशान, दो आइरिस स्कैन और केवल चेहरे की तस्वीर शामिल होती है.