नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों और वामपंथ अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की सोमवार को समीक्षा की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी. इस बैठक में मुख्यमंत्रियों - नीतीश कुमार (बिहार), नवीन पटनायक (ओडिशा), योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश), कमलनाथ (मध्य प्रदेश), रघुबर दास (झारखंड) और भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) के अलावा नक्सलवाद से प्रभावित 10 राज्यों के शीर्ष पुलिस और अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, गृह मंत्री ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की. अर्धसैनिक बलों और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। गृह मंत्री का पदभार संभालने के बाद अमित शाह की यह इस तरह की पहली बैठक थी.
माओवाद से प्रभावित 10 राज्य - छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं. गृह मंत्रालय के आकंड़ों के मुताबिक 2009-13 के बीच नक्सल हिंसा के करीब 8,782 मामले सामने आए थे जबकि 2014-18 के बीच 4,969 मामले सामने आए, जो इस हिंसा में 43.4 फीसदी की कमी बताते हैं. मंत्रालय ने बताया कि 2009-13 के बीच सुरक्षा बलों समेत करीब 3,326 लोगों की नक्सली हिंसा में मौत हुई जबकि 2014-18 के बीच 1,321 लोगों की मौत हुई. इसमें कुल 60.4 फीसदी कमी आई. 2019-18 के बीच 1,400 नक्सली मारे गए. यह भी पढ़े: छत्तीसगढ़: सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, दंतेवाड़ा में आठ लाख के इनामी नक्सली ने किया सरेंडर
Delhi: Union Home Minister Amit Shah holds an inter-state council meeting on anti-Maoist operations. Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel, Madhya Pradesh CM Kamal Nath, UP CM Yogi Adityanath, Odisha CM Naveen Patnaik, and Jharkhand CM Raghubhar Das present at the meeting. pic.twitter.com/etbkyIwjkx
— ANI (@ANI) August 26, 2019
इस साल के शुरूआती पांच महीनों में नक्सल हिंसा के करीब 310 मामलों की खबर आई जिनमें 88 लोग मारे गए. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार की दृढ़ नीतियों की वजह से हिंसा में कमी आई है और वामपंथ अतिवाद का भौगोलिक प्रसार भी घटा है. 2018 में नक्सली हिंसा की खबरें सिर्फ 60 जिलों में सामने आई। इसमें से दो तिहाई हिंसा सिर्फ 10 जिलों में हुई.