
‘नो स्मोकिंग डे’ महज एक दिवस विशेष का उत्सव नहीं, बल्कि हमें चेताता है, कि एक कश के आनंद के लिए हम कैसे अपने अनमोल जीवन को दांव पर लगाते हैं. यह दिन हमें बताता है कि जाने-अनजाने स्मोकिंग की लत को कैसे छुड़ाया जा सकता है, यह दिन हमें सेहत की सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण एवं समाज के लिए सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी प्रेरित करता है. इसलिए इस दिन को हमें प्रतीक के रूप तक ही नहीं बल्कि ताउम्र धूम्रपान से बचने के संकल्प के रूप में लेना चाहिए. धूम्रपान निषेध दिवस (12 मार्च 2025) के अवसर पर आइए जानते हैं ‘नो स्मोकिंग डे’ हमारे देश ही नहीं दुनिया भर के लिए कितना महत्वपूर्ण अवसर है. आइये जानते हैं नो स्मोकिंग डे के महत्व के विभिन्न पहलुओं के बारे में
धूम्रपान सेहत पर दुष्प्रभाव:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, धूम्रपान से हर साल लाखों लोग असमय मृत्यु के शिकार होते हैं. चिकित्सकों का भी कहना है कि धूम्रपान से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से हृदय रोग, कैंसर, स्ट्रोक, अस्थमा और तपेदिक जैसे श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियां और अन्य गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. नो स्मोकिंग डे के अवसर पर इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, लोगों को धूम्रपान के खतरों के बारे में जागरूक किया जाता है. यह भी पढ़ें : World Kidney Day 2025: किडनी के प्रति लापरवाही घातक हो सकती है! जानें इसका महत्व, इतिहास एवं किडनी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
जन जागरूकता फैलाने का अवसर
‘नो स्मोकिंग डे’ उन लोगों को जागरूक करने का बेहतरीन अवसर है, जो धूम्रपान के दुष्प्रभावों के बारे में नहीं जानते या फिर जो इसकी गंभीरता को कमतर आंकते हैं. धूम्रपान निषेध दिवस के दौरान विभिन्न संगठन, सरकारें और स्वास्थ्य विभाग इस विषय पर वर्कशॉप, सेमिनार, स्ट्रीट प्ले, नृत्य नाटिका और प्रचार-प्रसार अभियानों का आयोजन करते हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस बुरी आदत से छुटकारा पा सकें.
युवाओं को बचाना:
भारत युवाओं का देश है, और सबसे बड़ी त्रासदी यह हैं कि यहां युवा ही भारी तादाद में धूम्रपान के शिकार बन रहे हैं, इससे उनका भविष्य अंधेरे में डूब सकता है. इसलिए भारत में नो स्मोकिंग डे के दौरान विशेष रूप से युवाओं में धूम्रपान के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जाते हैं. इस दिन विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी को धूम्रपान के नुकसान से बचाया जा सके.
मानसिक और शारीरिक लाभ:
सुप्रसिद्ध चिकित्सकों के अनुसार धूम्रपान छोड़ने के बाद, व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार हो सकता है. ‘धूम्रपान निषेध’ के दौरान यह संदेश प्रसारित किया जाता है कि धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों की कार्यक्षमता, हृदय स्वास्थ्य और जीवन शैली में सुधार होता है. साथ ही, मानसिक स्थिति भी सुधरती है क्योंकि धूम्रपान तनाव और अवसाद को बढ़ावा देता है.
पर्यावरण:
धूम्रपान न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी भारी खतरा है. सिगरेट के बचे हुए हिस्से को नष्ट करना कठिन होता है, जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं. नो स्मोकिंग डे के दौरान इस मुद्दे पर भी ध्यान आकर्षित किया जाता है, ताकि लोग समझें कि उनका व्यक्तिगत निर्णय पर्यावरण पर भी प्रभाव डालता है.