पितरों की विदाई और महालया के आगमन के साथ ही नवरात्रि की दुर्गापूजा की शुरुआत हो जाती है. पश्चिम बंगाल में महालया का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन माँ दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर अवतरित होती हैं. दस दिनों (नवमी) तक प्रवास करती हैं. जानें महालया का महात्म्य एवं इतिहास.
महालया के साथ ही दुर्गापूजा प्रारंभ हो जाता है. पश्चिम बंगाल में बच्चे से लेकर वृद्ध तक पर महालया का आकर्षण देखा जा सकता है. महाल्या की शुरुआत और पितरों की विदाई के अगले दिन से दुर्गापूजा की धूम शुरु हो जाती है. देवी पुराण के अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर 10 दिन के प्रवास करती हैं. इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि मूर्तिकार इसी दिन देवी दुर्गा की आंखें बनाकर मूर्ति को पूर्णता प्रदान करते हैं, और मूर्तियां पंडालों के लिए भेजी जाने लगती हैं.
कब है महाल्या?
आश्विन मास कृष्णपक्ष की अमावस्या को पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है. इसी दिन महाल्या का पर्व सेलीब्रेट किया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष महालया 6 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जायेगा. अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को घटस्थापना के साथ नवरात्रि की पूजा-अर्चना शुरु होकर 14 अक्टूबर 2021 को नवरात्रि समाप्त हो जायेगी. 15 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी एवं रावण-दहन होगा. गौरतलब है कि इस बार नवरात्रि आठ दिन की होगी, क्योंकि 9 अक्टूबर को तृतीया एवं चतुर्थी एक साथ पड़ रही है.
कैसे शुरु हुआ महालया?
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाबलशाली महिषासुर नामक दैत्य को वरदान मिला था कि मनुष्य हो या देवता कोई भी उसका संहार नहीं कर सकेगा. इस तरह उसे अपनी शक्ति पर घमंड हो गया. उसने ऋषि-मुनियों को सताना शुरु किया और स्वर्ग पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया. सभी देवतागण त्राहिमाम् त्राहिमाम् करते हुए त्रिदेव (भगवान ब्रह्मा, विष्णु और एवं शिवजी) की शरण में आये. देवताओं की स्थिति देख त्रिदेव क्रोधित हो उठे. इसी समय उनके शरीर से दिव्य ज्वाला एक नारी के रूप में प्रकट हुई. जिसे महाशक्ति देवी दुर्गा का नाम दिया गया. इसके बाद सभी देवताओं ने महाशक्ति दुर्गा की स्तुति गाते हुए अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान कर महिषासुर से इस जगत को बचाने की प्रार्थना की. कहते हैं कि महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच नौ दिनों तक महासंग्राम चलता रहा. अंततः दसवें दिन देवी दुर्गा महिषासुर का मर्दन कर स्वर्गलोक को मुक्त कराया. इसीलिए देवी दुर्गा का एक नाम महिषासुर मर्दनी भी पड़ा. यह भी पढ़ें : Mahalaya 2021 Messages: महालया की दोस्तों-रिश्तेदारों को इन शानदार हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Quotes, GIF Images के जरिए दें शुभकामनाएं
कैसे करते हैं महालया का सेलीब्रेशन
महालया का पर्व शक्ति का प्रतीक देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इसीलिए इस दिन समस्त बंगाल एवं उत्तर भारत में देवी दुर्गा के आह्वान पर चंडीपाठ का आयोजन किया जाता है. महालया अथवा दुर्गा पूजा मूलतः बंगाली समुदाय का सबसे बड़ा फेस्टिवल है, लेकिन यह पूरे उत्तर भारत में उसी धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि पितरों के विदाई के दिन ही माँ दुर्गा कैलाश पर्वत से दस दिनों के लिए पृथ्वी पर प्रवास करती हैं, और भक्तों का सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इसी दिन मूर्तिकार दुर्गाजी की मूर्ति की आंखे बनाने के बाद उसमें कलर भरते हैं, और दुर्गाजी की प्रतिमाएं मंडपों तक पहुंचाई जाने लगती हैं.