Chhath Puja 2025: पीएम मोदी ने की खास अपील, कहा- 'छठ पूजा  के गाने शेयर करें, मैं उन्हें रीपोस्ट करूंगा'
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Chhath Puja Songs 2025: छठ पूजा का महापर्व शनिवार से शुरू हो रहा है. इस बड़े त्योहार से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से एक खास अपील की है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (जिसे पहले ट्विटर कहते थे) पर लोगों से कहा है कि वे छठ पूजा से जुड़े गाने उनके साथ शेयर करें. पीएम मोदी ने वादा किया है कि वह आने वाले कुछ दिनों में इन गानों को अपने अकाउंट से दोबारा पोस्ट (रीपोस्ट) करेंगे.

प्रधानमंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा, "प्रकृति और संस्कृति को समर्पित महापर्व छठ बस आने ही वाला है. बिहार और देश भर में भक्त पूरी श्रद्धा से तैयारियों में जुटे हैं. छठी मैया को समर्पित गीत इस पावन अवसर की भव्यता और दिव्यता को और भी बढ़ाते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि छठ पूजा से जुड़े गाने मेरे साथ शेयर करें. मैं अगले कुछ दिनों में इन्हें सभी देशवासियों के साथ साझा करूँगा."

इस साल, चार दिनों का यह छठ उत्सव शनिवार से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. यह त्योहार मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है. लोग इस पूजा में अपने परिवार की सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आशीर्वाद मांगते हैं.

क्या है छठ पूजा और क्यों है इतनी खास?

छठ पूजा हिंदुओं के सबसे अहम त्योहारों में से एक है. यह खास तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इसके अलावा, नेपाल और दुनिया भर में जहाँ भी भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं, वे इस त्योहार को पूरी श्रद्धा से मनाते हैं.

इस पूजा में सूर्य देव और उनकी बहन मानी जाने वाली छठी मैया की उपासना की जाती है. यह त्योहार पवित्रता, ईश्वर का आभार जताने और परिवार की भलाई पर ज़ोर देता है.

माना जाता है कि छठ पूजा सतयुग और द्वापर युग के प्राचीन काल से चली आ रही है. यह सूर्य की पूजा के सबसे पुराने तरीकों में से एक है. भक्त इस त्योहार को बहुत कड़े अनुशासन और नियमों के साथ मनाते हैं. वे अपनी भक्ति दिखाने और आशीर्वाद पाने के लिए लंबे समय तक बिना कुछ खाए-पिए (निर्जला व्रत) रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि छठ में सूर्य की पूजा करने से जीवन से सारी नकारात्मकता (negativity) दूर होती है और घर में शांति और positivity आती है.

चार दिनों तक चलता है यह महापर्व

छठ पूजा में चार दिनों तक कड़े रीति-रिवाज निभाए जाते हैं:

पहला दिन – नहाय खाय: त्योहार की शुरुआत इसी दिन से होती है. इस दिन भक्त नदी या तालाब में पवित्र डुबकी लगाकर खुद को शुद्ध करते हैं. वे घर में साफ-सफाई का खास ध्यान रखते हैं और प्रसाद बनाने के लिए सब्जियां और दालें तैयार करते हैं.

दूसरा दिन – खरना: इस दिन भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक कड़ा उपवास रखते हैं. शाम को वे गुड़, चावल और गेहूं से खास प्रसाद (अक्सर इसे 'रसियाव' या खीर-रोटी कहते हैं) तैयार करते हैं. पूजा के बाद इस प्रसाद को खाकर वे अपना दिन भर का व्रत तोड़ते हैं. इस प्रसाद को परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों में भी बांटा जाता है.

तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: यह छठ पूजा का सबसे मुख्य दिन होता है. इस दिन भक्त शाम के समय नदी, तालाब या घाटों पर इकट्ठा होते हैं. वे पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को 'अर्घ्य' (प्रार्थना और प्रसाद) देते हैं. वे सूर्य देव को फल, गन्ना और ठेकुआ जैसी चीजें चढ़ाकर धरती पर जीवन देने के लिए उनका धन्यवाद करते हैं.

चौथा दिन – उषा अर्घ्य: यह त्योहार का आखिरी दिन होता है. इस दिन उगते हुए सूरज को प्रार्थना और अर्घ्य दिया जाता है. भक्त सूर्योदय से पहले ही पानी में खड़े हो जाते हैं और सूरज की पहली किरण के साथ उन्हें अर्घ्य देते हैं. इसके बाद वे अपना 36 घंटे का लंबा व्रत तोड़ते हैं. सबके बीच प्रसाद बांटा जाता है और इसी के साथ पूजा पूरी होती है.

छठ पूजा का असली मतलब सादगी, समर्पण और शुद्धता है. इस पूजा में चढ़ाए जाने वाले फल, सब्जियां और मिठाइयाँ, प्रकृति से मिले तोहफों को दर्शाती हैं. यह त्योहार हमें प्रकृति का सम्मान करना और उसके साथ तालमेल बिठाकर रहना सिखाता है.