भारत में सोने का हमेशा से ही लोगों के दिलों और घरों में खास स्थान रहा है. धनतेरस और दिवाली के समय, लोग ज्वैलरी स्टोर की ओर रुख करते हैं, आंखें उस परफेक्ट नेकलेस या साधारण सोने के सिक्के पर ही टिकी होती हैं. कई लोगों के लिए, सोना खरीदना केवल आभूषण नहीं, बल्कि समृद्धि, सुरक्षा और शुभता का प्रतीक माना जाता है. शहरों से लेकर गांवों तक, सोने को हमेशा सुरक्षित निवेश के रूप में देखा गया है. इसे अक्सर लोन के लिए गारंटी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि सोने का मूल्य समय के साथ स्थिर और भरोसेमंद रहता है.
त्योहारी सीजन में सोने की मांग आम तौर पर काफी बढ़ जाती है. लेकिन इस उत्सव और ‘फोमो’ यानी डर के कारण जल्दबाजी में खरीदारी के बीच एक महत्वपूर्ण पहलू अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, ‘जो सोना आप खरीद रहे हैं, वह वास्तव में कितना शुद्ध है?’
हर कोई चाहता है कि उसके पैसे का सही मूल्य मिले, लेकिन शुद्ध सोना पहचानना हमेशा आसान नहीं होता. इसी समस्या को हल करने के लिए भारत में बीआईएस हॉलमार्किंग (BIS Hallmarking) का सिस्टम लागू किया गया है.
हॉलमार्किंग क्या है?
भारत में हॉलमार्किंग योजना का मकसद लोगों को मिलावटी धातु से बचाना है. इसके तहत गहने बनाने वाले निर्माता को यह सुनिश्चित करना होता है, कि उनका सोना या चांदी कानूनी शुद्धता मानक के अनुसार हो. इसका मतलब है, कि खरीदार को असली और शुद्ध सोना या चांदी ही मिले.
आजकल यह योजना सिर्फ सोने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चांदी पर भी लागू है. यानी, सोने और चांदी के गहने दोनों ही तय मानकों के अनुसार जांचे और प्रमाणित किए जाते हैं, ताकि खरीदार को भरोसा हो कि जो धातु वे खरीद रहे हैं, वह पूरी तरह शुद्ध और सुरक्षित है.
अगर खरीदा गया सोना शुद्ध नहीं है तो क्या होगा?
अगर आप कोई सोने का आभूषण खरीदते हैं, और वह निर्धारित किए गए शुद्धता के मानक पर खरा नहीं उतरता, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. बीआईएस नियम, 2018 की धारा 49 के मुताबिक, अगर सोना निर्धारित किए गए शुद्धता से कम पाया जाता है, तो विक्रेता कानूनी रूप से आपको मुआवजा देने के लिए बाध्य है.
इस मुआवजे में शामिल है:
- आभूषण के वजन और शुद्धता की कमी के आधार पर दो गुना मूल्य का भुगतान करना.
- यदि आपने सोना जांचने के लिए कोई टेस्टिंग चार्ज दिए थे, तो वह भी आपको वापस मिलेगा.
इस नियम का उद्देश्य यह है, कि खरीदार को हमेशा शुद्ध और सही मूल्य वाला सोना मिले.
इसलिए, दिवाली और धनतेरस पर सोना खरीदते समय केवल कीमत और डिज़ाइन पर ध्यान न दें, बल्कि सोने की शुद्धता और हॉलमार्किंग की पुष्टि करना बेहद जरूरी है. ऐसा करने से आप भविष्य में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी और वित्तीय नुकसान से बच सकते हैं.













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