2019 में पीएम मोदी, राहुल गांधी समेत इन बड़े नेताओं की किस्मत का होगा फैसला
पीएम नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी (Photo Credits IANS)

साल 2019 का आगाज हो गया है. सभी एक-दूसरे को नए साल की बधाई देने में व्यस्त हैं. वैसे नया साल भारत की सियासत के लिए बेहद अहम है. 2019 में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. देश की जनता मोदी सरकार के पिछले 5 साल के कामों का आंकलन करेगी. वहीं, विपक्ष की ओर से पीएम मोदी को कड़ी चुनौती मिलेगी. बता दें कि 2014 आम चुनावों के बाद बीजेपी लगातार कई राज्यों में चुनाव जीती हैं. मगर, 2018 ख़त्म होते-होते उन्हें 5 राज्यों में नाकामयाबी मिली. कांग्रेस हिंदी बेल्ट के 3 राज्यों में जीती जिसके बाद उनके हौसले बुलंद हैं.

2019 में लोकसभा चुनावों के आलावा ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव होने है. नए साल में कई बड़े नेताओं के किस्मत का फैसला भी होना है. आइए नजर डालते हैं उन 5 नेताओं पर जिनके लिए बेहद अहम है 2019.

पीएम मोदी:

2019 में पीएम मोदी की सबसे बड़ी परीक्षा है. 2019 में देश की जनता पीएम मोदी द्वारा पिछले 5 सालों में किए हुए काम का आंकलन करेंगे. 2014 आम चुनावों के बाद बीजेपी लगातार कई राजों में चुनाव जीती हैं. मगर, 2018 ख़त्म होते-होते उन्हें 5 राज्यों में नाकामयाबी मिली. कांग्रेस हिंदी बेल्ट के 3 राज्यों में जीती जिसके बाद बीजेपी के खेमे में टेंशन है. पार्टी फिर से सत्ता हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगा रही है.

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सियासी पंडितों की माने तो अगर 2019 में NDA को बहुमत नहीं मिला तो पीएम मोदी की राह मुश्किल हो सकती है. बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में एनडीए को दूसरे दलों के समर्थन की जरूरत होगी. ऐसी स्थिति आई तो शायद नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का पद सौंपने में एक राय न बन पाए.

राहुल गांधी:

पीएम मोदी की तरह ही 2019 राहुल गांधी के लिए भी बेहद अहम है. दिसंबर में 3 राज्यों में मिली जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का कद बढ़ा है मगर कुछ सवाल अभी बचे हैं. मसलन, क्‍या राहुल गांधी अब पूरे विपक्ष के नेता हो सकते हैं? वो पार्टियां जो एक समय में एनडीए के साथ भी रही हैं, क्‍या राहुल उन्‍हें अपने साथ ला सकते हैं? क्‍या राहुल गांधी को कांग्रेस के पुराने और नए नेताओं के बीच की दूरी खत्‍म करनी होगी? क्‍या राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के महागठबंधन में अब जगह मिलेगी? वैसे आने वाले कुछ महीनो में इन सवालों के जवाब मिल जाएंगे.

नवीन पटनायक:

नया साल ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए बेहद अहम है. 2019 लोकसभा चुनावों के साथ ओडिशा में विधानसभा चुनाव होने हैं. ये दोनों चुनाव पटनायक के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं. ओडिशा में बीजेपी की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है और पार्टी को लगता है कि वो सूबे की नवीन पटनायक सरकार को झटका दे सकती है. यही वजह है कि पिछले महीने पीएम मोदी ने सूबे की यात्रा की और नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल (बीजद) सरकार पर निशाना साधा.

देवेंद्र फडणवीस:

इसी साल अक्टूबर में महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होने है. इन चुनावों में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व का टेस्ट होगा. फडणवीस वैसे तो महारष्ट्र में लोकप्रिय नेता हैं मगर शिवसेना से चल रही तनातनी से कांग्रेस-एनसीपी का फायदा हो सकता हैं. देवेंद्र फडणवीस के सामने शिवसेना को साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती हैं.

मनोहर लाल खट्टर:

हरियाणा में भी महाराष्ट्र के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों में कांग्रेस वापसी की तैयारी कर रही है. हरियाणा विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व का टेस्ट होगा. खट्टर के लिए एक बार फिर से बहुमत की सरकार बना पाना आसान नहीं होगा. क्योंकि इस बार हरियाणा में बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है.