देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के संदर्भ में बहुत सारी बातें प्रचलित हैं. कुछ पॉजिटिव तो कुछ निगेटिव बातें. 14 नवंबर 1889 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में जन्में नेहरू जी का निधन 27 मई 1964 को हार्ट अटैक के कारण हो गया था. देश के प्रथम प्रधानमंत्री की 58वीं पुण्यतिथि पर आइये जानते हैं उनके जीवन के कुछ रोचक और प्रेरक प्रसंग. जवाहर लाल नेहरू, माउंटबेटन के निजी पत्रों के कुछ हिस्से गोपनीय बने रहेंगे: ब्रिटिश न्यायाधिकरण
बचपन से सीखी 'आजादी'
जवाहरलाल तब बहुत छोटे थे. पिता मोतीलाल नेहरू ने अपने आवास आनंद भवन में एक तोता पाला हुआ था. तोता मोतीलाल को बहुत प्यारा था. तोते का संरक्षण बाग में काम करनेवाला माली करता था. एक दिन नेहरू स्कूल से आये तो तोता चिल्ला रहा था. जवाहर लाल ने समझा तोता पिंजरे से निकलने के लिए चिल्ला रहा है. नेहरू ने तुरंत पिंजरे का गेट खोल दिया. तोता उड़कर करीब स्थित वृक्ष की डाल पर बैठ गया. माली ने तोते को देखा तो भागकर आया और जवाहरलाल को डांटा कि अब साहब (मोतीलाल) गुस्सा करेंगे. आज जब हम आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ रहे हैं तो इस गरीब तोते को क्यों कैद किया जाये?
दुनिया भर में मशहूर थे चाचा नेहरू
नेहरू जी बच्चों से बहुत प्यार करते थे. वे बच्चों के बीच खेलते थे, हंसते थे, गाने गाते थे. वे भूल जाते थे कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं. एक बार नेहरूजी रूस गये थे, जहां उनका शानदार स्वागत हुआ. एक रूसी बच्ची नेहरू जी से मिलने होटल आया, सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोकने पर बच्चा रोने लगा. खिड़की से देख रहे नेहरू जी व इंदिरा जी बाहर आये, बच्चे से पूछा क्यों रो रहे हो? उसने कहा मैं एक विधवा का पुत्र हूं, यहां अपने चाचा नेहरू को ये फूल देने आया हूं. बच्चे का प्रेम देखकर नेहरू ने कहा मैं चाचा नेहरू हूं, ये फूल मैं ले लेता हूं, बदले में नेहरू ने उसे अपना फाउंटेन पेन दे दिया.
स्वावलंबी भी थे नेहरू
पं. नेहरू इंग्लैंड के हैरो स्कूल में अपनी पढ़ाई कर रहे थे. एक दिन वे अपने जूतों पर पॉलिश कर रहे थे, तभी पिता पं. मोतीलाल नेहरू आ गए. उन्होंने नेहरू से पूछा, जूते पर तुम पॉलिश क्यों कर रहे हो, सारे नौकर कहां गये. तब नेहरू जी ने बड़ी शालीनता से कहा था कि जो काम वे कर सकते हैं, उसे नौकरों से करवाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. उन्होंने अपने पिता से कहा कि हम स्वनिर्भर का नारा लगाते हैं, तब हमें अपना काम खुद क्यों नहीं करना चाहिए.
नेहरू जी की विनम्रता
एक बार पंडित नेहरू प्रयागराज के कुंभ मेला जा रहे थे, उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ इकट्ठी हो गई. अचानक एक वृद्ध महिला नेहरू की कार के सामने आयी, और चिल्लाने लगी, अरे जवाहर तू कहां है? तू कहता है कि हम आजाद हो गये, किसे मिली आजादी? हां तुम कार वालों को आजादी मिली, हम तो जैसे पहले थे वैसे ही आज भी हैं. नेहरू जी बाहर आये, वृद्धा के सामने हाथ जोड़कर कहा, मां जी आपने कहा कि कहां है आजादी, आप देश के प्रधानमंत्री को तू शब्द से पुकार रही ही उसे डांट रही हैं. आप आजाद हैं तभी तो इतने हक के साथ अपनी बात कह रही हैं. वृद्धा शांत हो गई.
चार बार हुई हत्या की कोशिश
जहां तक इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के निधन की बात है, इसमें एक समानता यह थी कि दोनों की हत्या उनकी खुद की लापरवाही से हुई थी, और नेहरू जी के संदर्भ में मिली खबर के अनुसार उनकी भी चार बार हत्या की कोशिश हुई, क्योंकि वे भी सुरक्षा कर्मियों को साथ ले जाना पसंद नहीं करते थे. कहा जाता है कि आजादी के बाद नेहरू जी की चार बार हत्या की कोशिश हुई थी. पहली बार 1947 में विभाजन के दौरान, दूसरी बार 1955 में एक रिक्शा चालक द्वारा, तीसरी बार 1956 में तथा चौथी बार 1961 में मुंबई में. लेकिन हर बार सौभाग्यवश वे बच गये. लेकिन 1964 में हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई.