Who is Swaran Singh: JNU प्रोफेसर को यौन उत्पीड़न के आरोप में नौकरी से निकाला गया, जानिए कौन हैं स्वर्ण सिंह?
JNU Professor Swaran Singh | X

Who is Swaran Singh: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) एक बार फिर विवादों में है, इस बार वजह है वरिष्ठ प्रोफेसर स्वर्ण सिंह (Swaran Singh) को यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते बिना किसी लाभ के बर्खास्त किया जाना. यह मामला और भी गंभीर इसलिए बन जाता है क्योंकि पीड़िता कोई आम छात्रा या स्टाफ मेंबर नहीं, बल्कि जापानी दूतावास की एक अधिकारी थीं. JNU के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह पर पिछले साल मई में यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था. यह आरोप जापान की एंबेसी की एक महिला अधिकारी ने लगाया था.

इस मामले में विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति द्वारा गहन जांच की गई. जांच में दोनों पक्षों को गवाह पेश करने का पूरा मौका दिया गया. सूत्रों के अनुसार, स्वर्ण सिंह के खिलाफ ठोस सबूत मिले – जिनमें ऑडियो रिकॉर्डिंग्स भी शामिल थीं. इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें बिना किसी सेवा लाभ के नौकरी से निकाल दिया.

कौन हैं स्वर्ण सिंह?

स्वर्ण सिंह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर माने जाते थे, खासकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति और परमाणु नीति के क्षेत्र में. वे सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, ऑर्गनाइजेशन एंड डिसआर्मामेंट (CIPOD), स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में कार्यरत थे. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया था, साथ ही JNU से अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. इसके अलावा उन्होंने उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडन से संघर्ष समाधान में पोस्ट डॉक्टोरल डिप्लोमा भी हासिल किया.

उनके विशेषज्ञता के क्षेत्र में हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण, संघर्ष समाधान और शांति अध्ययन, तथा भारत की रक्षा और परमाणु नीति शामिल हैं. स्वर्ण सिंह का अनुभव भी बेहद व्यापक रहा है. वे 1992 से 2001 तक इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA), नई दिल्ली में शोधकर्ता रहे, और 2001 में उन्होंने JNU में बतौर फैकल्टी सदस्य पदभार संभाला. इसके अतिरिक्त, वे 2012 से 2014 तक विश्वविद्यालय के चीफ विजिलेंस ऑफिसर की भूमिका में भी कार्य कर चुके हैं.

JNU में और भी मामलों में हुई सख्त कार्रवाई

JNU में यह इकलौता मामला नहीं है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में और भी मामलों में सख्त कदम उठाए हैं: पर्यावरण विज्ञान विभाग के एक अन्य प्रोफेसर को रिसर्च प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया है. यह मामला अब CBI के पास भेजा गया है. दो गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों को भी इसी प्रोजेक्ट से जुड़े घोटाले में नौकरी से निकाला गया है. इसके अलावा कुछ अन्य प्रोफेसरों को वेतन वृद्धि रोकने, निंदा पत्र देने और संवेदनशीलता प्रशिक्षण लेने की सजा दी गई है.

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