मुंबई: देश के सबसे चर्चित स्टांप पेपर घोटाले मामले में नासिक की एक अदालत ने दोषी करार दिए गए अब्दुल करीम तेलगी (Abdul Karim Telgi) के मौत के एक साल बाद बरी कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में तेलगी के साथ अन्य आठ आरोपियों को भी बरी किया है. इन सभी आरोपियों को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी किया है. इस मामले की सुनवाई कर रहे जिला जज पी आर देशमुख ने सोमवार को इस फैसले की सुनवाई करते हुए इन सभी आरोपियों को बरी किया है.
बता दें कि स्टांप पेपर घोटाले मामले में कोर्ट ने अब्दुल करीम तेलगी को 30 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए तेलगी पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. सजा के बाद तेलगी बेंगलुरु के पाराप्पाना अग्रहारा सेंट्रल जेल में सजा काट रहा था. लेकिन पिछले साल अक्टूबर महीने में एड्स, डायबिटीज, हायपरटेंशन सहित कई अन्य बीमारियों से जकड़ने के चलते उसके शरीर के अंग काम करना बदं कर दिए थे. जिसकी वजह से बेंगलुरु के एक सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान उसका निधन हो गया. तेलगी के मौत के बाद कोर्ट ने उसके खिलाफ आरोप को हटा दिया. यह भी पढ़े: पीएनबी घोटाला : सीबीआई ने इलाहाबाद बैंक की सीईओ उषा समेत 22 अन्य के खिलाफ दाखिल किया आरोपपत्र
क्या है स्टांप पेपर घोटाला मामला
बता दें कि हजारों करोड़ रुपए के स्टांप पेपर घोटाले की शुरुआत 90 के दशक के शुरुआती साल में हुई थी. तेलगी पर आरोप था कि वह नकली स्टांप पेपर छापकर बेचता था. कहा जाता है कि तेलगी ने स्टांप पेपर की ब्रिक्री के लिए सैकड़ों लोगों को नियुक्त किया था और उनकी मासिक आय कई करोड़ रुपये थी. 1995 में तेलगी के खिलाफ मामले दर्ज किए गए लेकिन गिरफ्तारी 2001 में ही हो सकी.
पुलिस अधिकारी और इन नेताओं के नाम आया सामने
अब्दुल करीम तेलगी की गिरफ्तारी के बाद कई नेताओं के साथ-साथ पुलिस के कई आला अधिकारी भी हिरासत में लिए गए. गिरफ्तार पुलिस अधिकारियों में प्रमुख हैं - मुंबई पुलिस के आयुक्त आरएस शर्मा, संयुक्त आयुक्त श्रीधर वघल और समाजवादी पार्टी और तेलुगूदेशम के एक-एक विधायक को गिरफ्तार किया गया.