Raj Thackeray on Meat Ban: कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC) ने 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहर में मांस बिक्री और कत्लखानों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। इस फैसले को लेकर अब राज्य की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ जहां सामाजिक संगठनों और स्थानीय समुदायों ने विरोध जताया है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है.
KDMC के फैसले पर राज ठाकरे का विरोध
राज ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “स्वतंत्रता दिवस पर ही लोगों की खाने की स्वतंत्रता छीनी जा रही है. यह कौन-सा स्वतंत्रता दिवस है? सरकार या महापालिका को यह अधिकार नहीं कि वो तय करें कि लोग क्या खाएं और क्या नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे कल्याण-डोंबिवली में मांस बिक्री बंद न करें और इसे जारी रखें. यह भी पढ़े: Maharashtra Meat Ban Row: महाराष्ट्र में 15 अगस्त को मीट बैन पर सियासी संग्राम, जितेंद्र आव्हाड, आदित्य ठाकरे के बाद अजित पवार ने भी जताया विरोध; फैसले को बताया गलत
राज ठाकरे ने सरकार पर साधा निशाना साधते हुए कहा, जब हम स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, तो फिर खाने पर पाबंदी क्यों? यह तो सीधा विरोधाभास है. किसी के धर्म, त्योहार या मान्यता के आधार पर सरकार को लोगों के खान-पान पर बंदिश लगाने का अधिकार नहीं है.
राज ठाकरे ने सरकार पर साधा निशाना
अन्य नेता भी जाता चुके हैं फैसले का विरोध
इससे पहले इस फैसले के खिलाफ एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता आदित्य ठाकरे पहले ही विरोध दर्ज करा चुके हैं. दोनों नेताओं ने इसे "लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन" बताया है.
वहीं राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, “इस तरह का फैसला उचित नहीं है. खाने-पीने के अधिकार पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए. यह लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है।”
KDMC का पक्ष
हालांकि, कल्याण-डोंबिवली महापालिका के आयुक्त अभिनव गोयल ने स्पष्ट किया है कि यह कोई नया आदेश नहीं है.उन्होंने कहा कि यह पुरानी परंपरा और आदेश के तहत लिया गया फैसला है, जो पहले भी गांधी जयंती, महावीर जयंती, संवत्सरी, गणेश चतुर्थी, साधु वासवानी जयंती और 15 अगस्त जैसे अवसरों पर लागू किया जाता रहा है. उन्होंने बताया कि यह आदेश 1987 के नगर विकास विभाग के निर्देश और 1988 में तत्कालीन प्रशासक शिवलिंग भोसले द्वारा लागू परंपरा के तहत दिया गया है.
खटीक समाज का विरोध
इस फैसले के विरोध में डोंबिवली के खटीक समाज ने भी प्रदर्शन करते हुए KDMC से आदेश वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि इस तरह का फैसला उनकी आजीविका और धार्मिक स्वतंत्रता दोनों पर असर डालता है.












QuickLY