
CPCB Report on Ganga River Water Quality: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के माध्यम से सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया गया कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान गंगा के पानी में फे कल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर बढ़ गया. जिसके नहाने से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. सीपीसीबी की रिपोर्ट के बाद एनजीटी ने चिंता जाहिर करते हुए निगरानी करने के आदेश दिया था. आदेश का असर है कि आज सोमवार को सीपीसीबी ने एनजीटी को रिपोर्ट दिए रिपोर्ट में कहा गया कि निगरानी के बाद पानी की गुणवत्ता में कुछ हद तक सुधार हुआ है, लेकिन बैक्टीरिया अभी भी बना हुआ है.
दरअसल, 3 फरवरी को दायर की गई सीपीसीबी की रिपोर्ट में महाकुंभ मेला के दौरान फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया में वृद्धि के संकेत दिए गए. रिपोर्ट के अनुसार, 12-13 जनवरी को किए गए निरीक्षण के दौरान गंगा के पानी की गुणवत्ता जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) के संदर्भ में स्नान मानदंडों से मेल नहीं खाती थी. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि महाकुंभ के दौरान, खासकर शुभ दिनों पर, गंगा में स्नान करने वाले लोगों की बड़ी संख्या के कारण फेकल बैक्टीरिया का स्तर बढ़ा है. शाही स्नान और अन्य प्रमुख अनुष्ठानों के दौरान प्रदूषण स्तर में वृद्धि देखी गई है. यह भी पढ़े: Maha Kumbh Fire: महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 23 में लगी आग, फायर ब्रिगेड ने पाया काबू; VIDEO
जानें सीपीसीबी ने पहली रिपोर्ट में सीपीसीबी ने क्या कहा था
सीपीसीबी ने पहली रिपोर्ट में कहा था कि 12-13 जनवरी, 2025 को किए गए निगरानी के दौरान, नदी के पानी की गुणवत्ता अधिकांश स्थानों पर स्नान के मानदंडों को पूरा नहीं करती है. हालांकि, इस अवधि के बाद, अपस्ट्रीम स्थानों पर मीठे पानी के घुसपैठ के कारण कार्बनिक प्रदूषण (बीओडी के संदर्भ में) कम होने लगा. 13 जनवरी, 2025 तक, नदी के पानी की गुणवत्ता 19 जनवरी, 2025 को गंगा नदी पर लॉर्ड कर्जन ब्रिज के आसपास के क्षेत्र को छोड़कर, बीओडी से संबंधित स्नान के मानदंडों को पूरा करती है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) से संबंधित स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रही.
फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा पर जानें सीएम योगी क्या बोले
प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा मानकों के अनुसार 2,500 MPN प्रति 100 ml से कम है... इसका मतलब है कि झूठा अभियान केवल महाकुंभ को बदनाम करने के लिए है... NGT ने भी कहा है कि फेकल अपशिष्ट 2000 MPN प्रति 100 ml से कम था.