यूरोपीय संघ अब अवैध प्रवासियों को लेकर सख्ती बढ़ाएगा. प्रवासियों को सुरक्षित देशों को लौटाया जाएगा. भारत को भी सुरक्षित देश माना गया है.यूरोपीय संघ ने अवैध माइग्रेशन और शरण आवेदन खारिज होने के बाद प्रवासियों की वापसी को लेकर अपनी नीति को और सख्त करने का फैसला किया है. सोमवार को ब्रसेल्स में हुई बैठक में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के गृह मंत्रियों ने इस नीति में बड़े बदलावों का समर्थन किया था. इस नए पैकेज को मंजूरी मिल गई है. इसमें यूरोपीय संघ की सीमाओं के बाहर तथाकथित 'रिटर्न हब' स्थापित करने की अवधारणा को भी समर्थन दिया गया है, जहां उन शरणार्थियों को भेजा जाएगा जिन्हें यूरोप में रहने की अनुमति नहीं मिलती.
यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब यूरोप में प्रवासन को लेकर जनमत तेजी से सख्त हुआ है और कई देशों में दक्षिणपंथी दलों को चुनावी लाभ मिला है. यूरोपीय संघ की सीमा प्रबंधन एजेंसी फ्रोनटेक्स के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में अवैध प्रवेश में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दबाव कम नहीं हुआ है.
यूरोपीय संघ के प्रवासन आयुक्त मैग्नस ब्रुनर ने कहा, "हमें तेजी से आगे बढ़ना होगा, ताकि लोगों को यह महसूस हो कि स्थिति पर हमारा नियंत्रण है.”
डेनमार्क के इमिग्रेशन मंत्री रासमुस स्टोकलुंड इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. उन्होने कहा कि यूरोपीय संघ में जिन अवैध प्रवासियों को वापसी का आदेश दिया जाता है, उनमें से तीन चौथाई यूरोप में ही रह जाते हैं. उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि नियमों का नया सेट इन आंकड़ों में सुधार करने में काफी मदद करेगा.”
यह समझौता यूरोपीय संघ के माइग्रेशन और असाइलम पैक्ट के तहत हुआ है, जिसे पिछले वर्ष मंजूरी दी गई थी और जो अगले वर्ष जून से लागू होगा. इसका उद्देश्य प्रवासन के बेहतर प्रबंधन, अधिक प्रभावी नियंत्रण और शरण आवेदन अस्वीकार होने के बाद तेज वापसी की प्रक्रिया सुनिश्चित करना है.
मानवाधिकार संगठनों की नाराजगी
इन नई पहलों से प्रवासियों के साथ काम करने वाले कार्यकर्ता और संगठन असंतुष्ट हैं. 200 से अधिक संगठनों ने पहले ही यूरोपीय आयोग की योजनाओं की आलोचना की थी.
बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों की मदद करने वाले संगठन पिकम की प्रतिनिधि सिल्विया कार्टा ने कहा, "सुरक्षा, संरक्षण और समावेशन में निवेश करने के बजाय यूरोपीय संघ ऐसी नीतियां चुन रहा है जो और अधिक लोगों को खतरे और कानूनी अनिश्चितता की स्थिति में धकेल देंगी.”
एमनेस्टी इंटरनेशनल की ओलिविया जंडबुर्ग डीत्स ने इन प्रस्तावों को "अमानवीय” बताया और रिटर्न हब की अवधारणा को "क्रूर और अव्यवहारिक” कहा.
क्या हैं नए नियम
सदस्य देशों द्वारा समर्थित नए नियमों के तहत अब यह संभव होगा कि यूरोपीय संघ की सीमाओं के बाहर केंद्र स्थापित किए जाएं, जहां उन प्रवासियों को भेजा जाएगा जिनके शरण आवेदन खारिज हो चुके हैं. यूरोपीय क्षेत्र छोड़ने से इनकार करने वाले प्रवासियों पर कड़े दंड लगाए जा सकेंगे, जिनमें लंबी अवधि की हिरासत भी शामिल है.
प्रवासियों को उनके मूल देश के बजाय उन देशों में भेजा जा सकेगा जिन्हें यूरोप सुरक्षित मानता है. यूरोपीय संघ के मंत्रियों ने कोसोवो, बांग्लादेश, कोलंबिया, मिस्र, भारत, मोरक्को और ट्यूनीशिया को सुरक्षित मूल देश घोषित करने पर सहमति जताई है. इसके अलावा, यूरोपीय संघ में शामिल होने के इच्छुक देशों को भी सामान्य रूप से सुरक्षित मूल देश की श्रेणी में रखा गया है.
हालांकि कुछ अपवाद भी तय किए गए हैं, जैसे युद्ध की स्थिति वाले देश. उदाहरण के लिए यूक्रेन, या वे देश जिन पर यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगाए हैं.
सदस्य देशों ने सुरक्षित तीसरे देश की अवधारणा में भी बदलाव पर सहमति जताई है. पहले आवेदक और उस तीसरे देश के बीच प्रत्यक्ष संबंध आवश्यक था, लेकिन अब यह शर्त हटाई जा रही है. अब किसी तीसरे देश को तब सुरक्षित माना जाएगा जब यूरोप के साथ ऐसा समझौता हो, जिसमें वह देश अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सम्मान करता हो. इसका उद्देश्य यूरोपीय शरण प्रणाली पर बोझ कम करना है, ताकि लोगों को गैर यूरोपीय देशों में भेजा जा सके, जहां वे संरक्षण के लिए आवेदन कर सकें.
तंत्र और बोझ का बंटवारा
यूरोपीय संघ ने 2026 के लिए सॉलिडेरिटी पूल के आंकड़ों पर भी सहमति बनाई है. इस तंत्र का उद्देश्य भविष्य में शरणार्थियों को सदस्य देशों के बीच अधिक समान रूप से बांटना है. इसके तहत देशों को या तो शरणार्थियों को स्वीकार करना होगा, वित्तीय योगदान देना होगा, या परिचालन सहायता प्रदान करनी होगी.
2026 के लिए यह लक्ष्य 21,000 पुनर्वास या लगभग 42 करोड़ यूरो के वित्तीय योगदान के रूप में तय किया गया है. यूरोपीय आयोग ने माना कि साइप्रस, ग्रीस, इटली और स्पेन पर माइग्रेशन का काफी दबाव है. ये देश इस तंत्र से लाभ उठा सकते हैं और इन्हें योगदान से छूट मिल सकती है.
ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया और पोलैंड को भी पिछले वर्षों में यूक्रेन से आए शरणार्थियों के कारण दबाव में माना गया है.
इटली की दक्षिणपंथी सरकार को उम्मीद है कि ये योजनाएं अल्बानिया में उसकी विवादास्पद प्रवासन सुविधाओं के लिए नया अवसर देंगी. इटली के गृह मंत्री मातेओ पियांतेदोसी ने कहा कि शेंगजिन और ग्यादर स्थित केंद्र 2026 के मध्य तक पूरी तरह चालू हो जाएंगे.
इसके उलट हंगरी ने कहा है कि वह सॉलिडेरिटी तंत्र को लागू नहीं करेगा और एक भी प्रवासी को स्वीकार नहीं करेगा. हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान लंबे समय से आयोग से अपनी सख्त शरण नीतियों को लेकर टकराव में हैं. स्लोवाकिया और चेक गणराज्य ने भी अनिवार्य पुनर्वितरण तंत्र को खारिज करने के संकेत दिए हैं.
यूरोपीय संघ में आव्रजन नीति पर फैसले बहुमत से लिए जाते हैं. इसका अर्थ है कि कम से कम 55 प्रतिशत सदस्य देश, जो संघ की 65 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हों, समर्थन दें. इन नए नियमों को अभी यूरोपीय संसद की मंजूरी मिलनी है, लेकिन बड़े बदलाव की संभावना नहीं जताई गई है.













QuickLY