Bihar Election Results 2025: महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने बिहार में कैसे दिलाई NDA को ऐतिहासिक जीत?
Representational Image | PTI

Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA की ऐतिहासिक जीत के पीछे कई कारण रहे, लेकिन सबसे अहम भूमिका महिलाओं की रिकॉर्डतोड़ वोटिंग ने निभाई. इस बार महिलाओं की भागीदारी न सिर्फ पुरुषों से ज्यादा रही, बल्कि 2010 से शुरू हुए उनके मतदान वृद्धि के ट्रेंड ने पहली बार सत्ता का रुख निर्णायक रूप से बदल दिया. विशेषज्ञ मानते हैं कि नीतीश कुमार की महिलाओं-केंद्रित नीतियों और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण ने एक ऐसा महिला वोट बैंक तैयार किया, जिसने इस बार अभूतपूर्व रूप से एनडीए के पक्ष में मतदान किया.

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महिलाओं की रिकॉर्ड वोटिंग: आंकड़े बताते हैं कहानी

इस चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6% रहा, जबकि पुरुषों का 62.98%. यह 2020 के मुकाबले जबरदस्त उछाल है. तब महिलाओं का मतदान 59.69% था. कुछ जिलों में महिलाओं ने तो मतदान के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए. किशनगंज में महिला मतदान 88.57% रहा, जो मुस्लिम-बहुल जिला है और 2020 में यहां 65% वोट पड़े थे.

कटिहार, सुपौल और पूर्णिया जैसे जिलों में भी महिलाओं की भागीदारी 83% से ऊपर रही. 10 जिलों में महिलाओं का मतदान 75% से भी ज्यादा रहा.

इन आंकड़ों से साफ है कि महिलाएं अब सिर्फ वोटर नहीं रहीं. वे चुनावी नतीजों को तय करने वाली सबसे प्रभावशाली समूह बन चुकी हैं.

महिला सशक्तिकरण की नीतियों का असर

विशेषज्ञों का मानना है कि 2005 से लगातार चली आ रही नीतीश कुमार की महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाई गई नीतियों की वजह से आज की युवा महिला पीढ़ी ने एक बेहतर और बदला हुआ बिहार देखा है. इनमें शामिल हैं...

  • लड़कियों की शिक्षा के लिए ‘साइकिल योजना’ और ‘पोशाक योजना’
  • कॉलेज तक छात्रवृत्ति
  • नौकरी और पंचायती राज संस्थानों में 50% आरक्षण
  • महिलाओं के लिए सुरक्षा और आर्थिक सहायता योजनाएं

राजनीतिक विश्लेषक एन.के. चौधरी के अनुसार, “आज की महिला मतदाता वह पीढ़ी है जिसने नीतीश कुमार के दौर में स्कूल-कॉलेज, सुरक्षा और रोजगार के अवसरों का लाभ उठाया है. वह 2005 से पहले बिहार कैसा था, यह नहीं जानती. इसलिए उन्हें अपने जीवन में दिखे बदलाव ज्यादा विश्वसनीय लगते हैं.”

युवाओं और महिलाओं की जोड़ी ने बदली तस्वीर

इस चुनाव में महिलाएं और युवा दोनों ही बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंचे. महिलाओं की यह भागीदारी सिर्फ वोटिंग नहीं थी. यह एक संदेश था कि वे उस नेतृत्व को चुनना चाहती हैं जिसने उनके जीवन में ठोस बदलाव लाया है.

इस चुनाव ने साबित किया कि महिलाओं की प्राथमिकताएं अलग होती हैं, वे विकास, सुरक्षा और स्थिरता चाहती हैं, और जब उनकी संख्या बड़ी होती है, तो वे चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से बदल सकती हैं.

महिलाओं का यह बढ़ता प्रभाव बताता है कि बिहार में राजनीति अब नई दिशा में चल रही है. जहां सशक्त महिला मतदाता चुनावी लोकतंत्र की सबसे अहम शक्ति बन चुकी हैं.