
इन्टुइटीव मशीन्स नाम की निजी कंपनी का दूसरा रॉकेट चांद पर उतरने वाला है. यह रॉकेट कई आधुनिक तकनीकों से लैस है, जिनमें एक कूदने वाला ड्रोन भी शामिल है.इन्टुइटीव मशीन्स 2024 में ही चांद पर रॉकेट भेजने वाली दुनिया की पहली निजी कंपनी बन गई थी. अब कंपनी दूसरे मून मिशन पर है. कंपनी की कोशिश है कि रॉकेट गुरुवार छह मार्च को रात के 11 बजे तक चांद के मोंस मोतौं पठार क्षेत्र में उतर जाए.
यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास है. आज तक कोई भी रोबॉट वहां तक नहीं गया. एथेना नाम का यह रॉकेट 15.6 फुट लंबा, यानी लगभग एक जिराफ के कद का, है. नासा चांद की सतह पर उसके उतरने की प्रक्रिया को लैंडिंग से एक घंटे पहले से लाइवस्ट्रीम करना शुरू कर देगा.
क्या करेगा कूदने वाला ड्रोन
मिशन के बारे में बताते हुए नासा के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर फॉर साइंस निक्की फॉक्स ने कहा, "एक तरह से ऐसा महसूस हो रहा है कि यह मिशन हमारी पसंदीदा साइंस-फिक्शन फिल्मों में से एक से निकल कर सामने आ गया है." एथेना का लक्ष्य है चांद के दक्षिणी ध्रुव से करीब 160 किलोमीटर दूर उतरना.
रॉकेट वहां तीन रोवर और एक अनूठा कूदने वाला ड्रोन उतारेगा. चांद पर वायुमंडल ना होने की वजह से यानों का उड़ना नामुमकिन है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि कूदने वाले ड्रोन भविष्य में खोज के लिए काम आने वाली प्रमुख तकनीक बन कर उभरेंगे.
इस ड्रोन का नाम ग्रेस है. इसका नाम दिवंगत अग्रणी कंप्यूटर वैज्ञानिक ग्रेस हॉपर के नाम पर रखा गया है. ग्रेस के सबसे साहसिक उद्देश्यों में से एक है एक ऐसे गड्ढे में जाना जहां आज तक कभी सूरज की रोशनी नहीं पहुंची. यह पहली बार होगा जब धरती से कोई भी मिशन ऐसी जगहों तक पहुंचेगा.
एथेना का सबसे बड़ा रोवर 'मैप' एक बीगल कुत्ते जितना बड़ा है. वह नोकिया बेल लैब्स के फोरजी सेलुलर नेटवर्क का टेस्ट करने में सहायता देगा. इस नेटवर्क की मदद से एथेना, मैप और ग्रेस एक दूसरे से जुड़ सकेंगे. इस तकनीक को एक दिन अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेससूटों में डालने डिजाइन किया गया है.
कहीं रॉकेट दोबारा लुढ़क ना जाए
दूसरा रोवर याओकी जापानी कंपनी डाइमोन द्वारा बनाया गया है. यह मैप से थोड़ा छोटा है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी तरह से उतरने पर काम कर सकेगा. फरवरी 2024 में इन्टुइटीव मशीन्स ने चांद पर जो यान उतारा था वो एक ऐतिहासिक उपलब्धि तो थी, लेकिन यान उतरने के बाद एक तरफ झुक गया था और फिर गिर गया था.
इससे उसके सौर पैनल पर्याप्त बिजली नहीं बना पाए और मिशन समय से पहले समाप्त हो गया. कंपनी इस बार इस तरह की स्थिति से बचना चाह रही है. इस बार कंपनी ने कुछ बेहद जरूरी अपग्रेड किए हैं, जिनमें लेजर ऑल्टीमीटर के लिए बेहतर तारें लगाना शामिल है. यह उपकरण एक सुरक्षित टचडाउन सुनिश्चित करने के लिए ऊंचाई और गति की रीडिंग देता है.
तीसरा रोवर है 'ऐस्ट्रोऐंट'. इसमें चुम्बकीय पहिये लगे हुए हैं और यह मैप से चिपक कर व उसके सेंसरों का इस्तेमाल कर उसमें तापमान के बदलाव को मापेगा. एथेना प्राइम-वन नाम का नासा एक उपकरण भी ले जा रहा है जिसमें छेद करने वाला एक यंत्र लगा हुआ है. यह यंत्र चांद की सतह के नीचे बर्फ और अन्य रसायनों की खोज करेगा. उसके साथ एक स्पेक्ट्रोमीटर भी लगा हुआ है जो उसकी खोजों का विश्लेषण करेगा.
यह एक हफ्ते में चांद की सतह पर दूसरी निजी कंपनी की लैंडिंग होगी. फायरफ्लाई एयरोस्पेस का रॉकेट "ब्लू घोस्ट" रविवार को उतरा था. दोनों मिशन नासा के 2.6 अरब डॉलर कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसके तहत नासा निजी कंपनियों के साथ भागीदारी कर रही है.
इसका उद्देश्य नासा के खर्च को कम करना और आर्टेमिस कार्यक्रम की मदद करना है. आर्टेमिस के तहत चांद पर और उसके बाद मंगल पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाना है. एथेना को बुधवार 27 फरवरी को स्पेसएक्स फाल्कन नाइन रॉकेट पर लांच किया गया था. रॉकेट पर नासा का 'लूनर ट्रेलब्लेजर' सैटलाइट भी है, जिसका उद्देश्य चांद पर पानी की मौजूदगीका मानचित्र बनाना है. लेकिन लांच आसान नहीं थी. ग्राउंड कंट्रोलरों को सैटलाइट से दोबारा संपर्क बनाने में दिक्कत आ रही है.
सीके/ओएसजे (एएफपी)