6-Planet Alignment: 30 मई 2025 को 6 ग्रहों का संयोग संभावित, जानें समय, ज्योतिषीय भविष्णवाणियां, ग्रहों की सूची और भारत में उनके दिखने की संभावना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

6-Planet Alignment Likely on May 30, 2025: एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण छह-ग्रह संरेखण, जो हर कुछ वर्षों में केवल एक बार होता है, आज, 30 मई 2025 को हो सकता है. ज्योतिषी और आध्यात्मिक विचारक दोनों ही इस असामान्य छह-ग्रह संरेखण से चकित हैं.

द रणवीर शो हिंदी (The Ranveer Show Hindi) में आए स्वामी योगेश्वरानंद गिरि (Swami Yogeshwarananda Giri) ने स्पष्ट किया कि यह विशेष संरचना महाभारत और अन्य महत्वपूर्ण प्राचीन युद्धों के दौरान देखी गई ग्रहों की स्थिति से बहुत मिलती-जुलती है. उन्होंने बताया कि उनका दावा रहस्यवाद या अनुमान के बजाय सटीक खगोलीय गणनाओं द्वारा समर्थित है. बहुत से लोग सोचते हैं कि यह संरेखण महत्वपूर्ण परिवर्तन की अवधि का संकेत दे सकता है, संभवतः एक नए युग की शुरुआत भी हो सकती है. यह भी पढ़ें: Seven Planets Alignment: 7 ग्रहों का महासंयोग, आसमान में दिखेगा अद्भुत नाजारा, जानें कब और कैसे देखें यह दुर्लभ खगोलीय घटना

आज रात भारत का आकाश (30-31 मई)

भारत में आज रात का आकाश (30-31 मई) शुक्र ग्रह 30 मई 2025 को सूर्योदय से पहले बहुत स्पष्ट दिखाई देगा, लेकिन अधिकांश अन्य ग्रहों को सूर्य के निकट होने या चमक की कमी के कारण देखना अधिक चुनौतीपूर्ण होगा.

6 ग्रहों का संयोग संभावित

Planetrise/Planetset, Fri, 30 May 2025
Planet Rise Set Meridian Comment
Mercury Fri 05:59 Fri 19:13 Fri 12:36 Very close to Sun, not visible
Venus Sat 03:21 Sat 15:45 Sat 09:33 Great visibility
Mars Fri 11:13 Sat 00:02 Fri 17:38 Average visibility
Jupiter Fri 07:20 Fri 20:31 Fri 13:55 Average visibility
Saturn Sat 02:09 Sat 14:07 Sat 08:08 Average visibility
Uranus Sat 05:16 Sat 18:15 Sat 11:46 Extremely difficult to see
Neptune Sat 02:11 Sat 14:12 Sat 08:12 Very difficult to see

स्वामी योगेश्वरानंद गिरि ने 30 मई, 2025 को होने वाले एक दुर्लभ छह-ग्रह संरेखण के बारे में कई ज्योतिषीय भविष्यवाणियां कीं, जो उनके अनुसार महाभारत युग के दौरान ब्रह्मांडीय घटनाओं से मिलती जुलती हैं. उनके अनुसार, यह संरेखण वैश्विक अशांति या यहां तक ​​कि बड़े पैमाने पर संघर्ष को भी जन्म दे सकता है, लेकिन यह भारत के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्वर्ण युग की शुरुआत का भी संकेत देता है. वह इस समय को परिवर्तन और नवीनीकरण के रूप में देखते हैं, जहां भारत ज्ञान और धर्म में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए तैयार है. उनके पूर्वानुमान सटीक खगोलीय गणनाओं पर आधारित हैं, जो विनाश और पुनर्जन्म के चक्रों को उजागर करते हैं जो विकास की ओर ले जाते हैं.