इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि एक मुस्लिम व्यक्ति कई बार शादी करने का हकदार है, बशर्ते वह सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार करे, कुरान के तहत बहुविवाह की सशर्त अनुमति की पुष्टि करते हुए “वैध कारणों” के लिए लेकिन इसके दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी. न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देसवाल ने फुरकान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिस पर अपनी पहली शादी के बारे में उसे बताए बिना दूसरी शादी करने और बलात्कार के आरोपों का सामना करने का आरोप है. अदालत ने फुरकान की दूसरी शादी को वैध माना क्योंकि दोनों पत्नियाँ मुस्लिम हैं, और कहा कि इस्लामी कानून के तहत चार पत्नियों तक बहुविवाह की अनुमति है और इसे शरीयत अधिनियम, 1937 के तहत नियंत्रित किया जाना चाहिए. फैसले में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया. अगली सुनवाई 26 मई को होनी है. यह भी पढ़ें: ‘Unnatural Sex With Wife a Punishable Offence': हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि पति पर धारा 377 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता
द्विविवाह पर इलाहाबाद हाई कोर्ट
#AllahabadHighCourt has said that a Muslim male has no unfettered right to go for a second marriage unless he can give equal treatment to all wives.
It added that the Quran permitted conditional polygamy, but it is misused widely today for 'selfish' purposes. pic.twitter.com/J2ikYprz4W
— Live Law (@LiveLawIndia) May 14, 2025
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