हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक उल्लेखनीय फैसले में कहा कि आईपीसी की धारा 377 अभी भी पति-पत्नी के बीच लागू हो सकती है. न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने स्पष्ट किया कि नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने, जिसने सहमति से समलैंगिक कृत्यों को अपराध से मुक्त कर दिया, धारा 377 को पूरी तरह से असंवैधानिक नहीं बना दिया. न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि विवाह के भीतर गैर-सहमति या अप्राकृतिक यौन कृत्य अभी भी धारा 377 के तहत अपराध हो सकते हैं, तथा विशिष्ट संदर्भों में इसकी प्रयोज्यता को बनाए रखा. यह भी पढ़ें: पति के अफेयर के दावे की पुष्टि के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिला को दिया वॉइस सैंपल देने का आदेश
'पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध दंडनीय अपराध
Himachal Pradesh High Court categorically disagreed with the Uttarakhand High Court’s July 2024 judgment, which held that a husband cannot be prosecuted for unnatural sex with his wife under Section 377 of the IPC.
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— Live Law (@LiveLawIndia) May 13, 2025
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