
प्रत्येक वर्ष 16 अप्रैल को विश्व वाणी दिवस (World Voice Day) मनाया जाता है. यह दिन हमारी ‘वाणी’ यानी ‘आवाज़’ की शक्ति और उसके महत्व को समझने, संजोने और उसका सम्मान करने के लिए समर्पित है. अक्सर इस दिन को केवल भाषण, वक्तव्य या औपचारिक कार्यक्रमों तक सीमित कर दिया जाता है, जबकि इसकी गहराई और संवेदना इससे कहीं अधिक है.
वाणी: महज ध्वनि नहीं, आत्मा की अभिव्यक्ति है
वाणी हमारे विचारों, भावनाओं और पहचान को अभिव्यक्ति करने का का महत्वपूर्ण माध्यम है. यह केवल शब्दों की श्रृंखला नहीं होती, बल्कि हमारे मन की गहराई से निकलने वाली भावना होती है, फिर वह चाहे मां की लोरी हो, शिक्षक की सीख, कवि की कविता या किसी नेता का संबोधन, वाणी हर स्तर पर लोगों को जोड़ती है, प्रेरित करती है और सामाजिक बदलाव की नींव रखती है. यह भी पढ़ें : Pohela Boishakh & Bengali New Year 2025: कब है पोइला बोइशाख? जानें इस दिन बंगाली समुदाय क्यों और कैसे मनाते हैं नववर्ष?
भाषण नहीं, संवाद ज़रूरी है
आज के दौर में जहां सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सबको ‘बोलने का अधिकार’ (Freedom of Speech) मिल गया है, वहीं ‘सुनने’ की आदत कम हो गई है. वाणी दिवस का असली उद्देश्य केवल बोलना नहीं, बल्कि सार्थक संवाद को बढ़ावा देना है. हमें यह समझना होगा कि भाषण देना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है सहानुभूति से सुनना और समझना.
स्वर की सेहत और साधना का रखें ध्यान
विश्व वाणी दिवस का एक वैज्ञानिक पहलू भी है. यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी आवाज़ भी हमारी सेहत का हिस्सा है. गायक, शिक्षक, वक्ता और कॉल सेंटर जैसे पेशे में काम करने वालों के लिए वाणी एक उपकरण के समान है, जिसकी नियमित देखभाल जरूरी है. गलत बोलने की आदतें, अत्यधिक चिल्लाना, धूम्रपान या प्रदूषण से आपकी वाणी क्षतिग्रस्त हो सकती है. इस दिन हमें अपनी आवाज को सुरक्षित रखने के उपायों को भी समझना चाहिए.
भावनाओं और जिम्मेदारियों से भरी हो वाणी
वाणी केवल अभिव्यक्ति का माध्यम ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी भी है. एक गलत शब्द जहां किसी को तोड़ सकता है, वहीं एक सही शब्द किसी के जीवन का नया हौसला दे सकता है. हमें अपनी वाणी में करुणा, विनम्रता और विवेक को शामिल करना चाहिए. इससे हमारे साथ-साथ दूसरे की भावनाओं का भी सम्मान होता है.